CG Navratri 2024: छत्तीसगढ़ के गर्भगृह में एक ही साथ मां महामाया और देवी काली, दोनों विराजमान हैं। पूजा भी दोनों की साथ ही होती है। श्रद्धा और भक्ति का ऐसा अद्भुत नजारा शायद ही कहीं और देखने मिले।
CG Navratri 2024: छत्तीसगढ़ के राजिम में नवरात्रि की आगाज के साथ ही शहर भक्ति और श्रद्धा के रंगों से भर गया है। एक ओर श्रद्धालु जहां अपनी आस्था के प्रतीक मां महामाया के दरबार में अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचे हैं, वहीं दूसरी ओर शीतला मंदिर में 97 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं। उनका कहना है कि मां तो मां होती है… राजिम का महामाया मंदिर इसका अनोखा उदाहरण है। यहां गर्भगृह में एक ही साथ मां महामाया और देवी काली, दोनों विराजमान हैं। पूजा भी दोनों की साथ ही होती है। श्रद्धा और भक्ति का ऐसा अद्भुत नजारा शायद ही कहीं और देखने मिले।
CG Navratri 2024: दिलचस्प बात ये है कि दोनों देवियों के नाम की ज्योत की पर्ची भी एक ही काउंटर से कटती है। इस नवरात्रि मां महामाया मंदिर में 1221 ज्योति कलश प्रज्वलित होने का रेकॉर्ड बना है, जिसने इस धार्मिक उत्सव की भव्यता पर चार चांद लगा दिए। वहीं शीतला मंदिर में प्रज्जवलित ज्योत की संख्या मिलाकर यहां कुल 1318 मनोकामना ज्योकियां जगमग हैं। भक्तजन 11 अक्टूबर तक इनके दर्शन का लाभ ले सकते हैं।
CG Navratri 2024: गुरुवार को नवरात्रि के पहले ही दिन महामाया मंदिर में उत्सवमय माहौल रहा। पंडितों ने शुभ मुहूर्त में मंत्रोच्चार के साथ ज्योति प्रज्जवलित की। इस दौरान मंदिर समिति के पदाधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद रहे। मंदिर की आकर्षक लाइटिंग ने इसे दूर से ही एक दिव्य स्थान बना दिया है, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच रहा है। यहां की भव्यता और सजावट देख भक्तों का मन प्रफुल्लित हो जाता है।
दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालु की बड़ी संख्या पंडालों में पहुंच रही है। सुबह से ही समिति के सदस्य मूर्तिकारों के पास मां की मूर्ति ले जाने के लिए इकट्ठा हो गए थे। कोई ट्रैक्टर से, तो कोई छोटे वाहनों से मां की प्रतिमा लेकर आया। इस तरह के उत्साह और श्रद्धा का अनुभव केवल नवरात्रि के अवसर पर ही संभव है, जहां हर कोई एक-दूसरे के साथ मिलकर मां की महिमा का गुणगान कर रहा है। नवरात्रि पर ऐसा अद्भुत उत्सव न केवल राजिम की आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि पूरे शहर के भीतर की एकता का प्रतीक है।
मां महामाया का मंदिर न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह प्राचीनता का भी प्रतीक है। इतिहास के पन्नों में इसे एक ऐसे स्थान के रूप में जाना जाता है, जो पहले पेड़-पौधों और जंगलों से घिरा था। कहा जाता है कि मां महामाया का स्वरूप इतना विकराल था कि उसे देखने से श्रद्धालु भयभीत हो जाते थे। साधु संतों की सलाह पर उनके स्वरूप को बदला गया, जिससे भक्तों की आस्था और बढ़ी।
श हर में विभिन्न स्थानों पर दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं, जैसे सुभाष चौक, बस स्टैंड, गोवर्धन चौक और महामाया चौक आदि। यहां की आकर्षक लाइटिंग और शानदार नक्काशी भक्तों का मन मोह रही है। सेवा मंडल पहले ही दिन से वाद्य यंत्रों के साथ माता की महिमा का गुणगान कर रहा है। गुरुवार को श्रद्धालु पूरे दिन माता के जयकारों के बीच मूर्तियों को बड़े उत्साह से पंडालों की ओर ले जाते दिखे। दुर्गा पंडाल पहुंचने पर पटाखों की गूंज से देवी मां का स्वागत किया गया।