Chhattisgarh Cabinet: प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के शासकीय सेवकों को अपनी निजी समस्या के कारण मुख्यमंत्री, मंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने के लिए अनुमति लेनी होगी।
Chhattisgarh Cabinet: प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के शासकीय सेवकों को अपनी निजी समस्या के कारण मुख्यमंत्री, मंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने के लिए अनुमति लेनी होगी। यदि कोई शासकीय सेवक विभागीय चैनल की अनुमति प्राप्त किए बिना मुख्यमंत्री, मंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होता है तो छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम के अंतर्गत कदाचरण मानी जाएगी और संबंधित शासकीय सेवक के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
परिपत्र के माध्यम से सभी विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि अपनी निजी समस्या के लिए मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक हो तब भी शासकीय सेवक को उक्त संबंध में ‘उचित माध्यम से’ सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त करनी होगी। इस आशय से संबंधित परिपत्र में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने जारी किया है। बता दें कि शासकीय सेवकों एवं अन्य सेवाओं से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए उचित माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के निर्देश पूर्व से ही दिए गए हैं।
परिपत्र में कहा गया है कि उपरोक्त निर्देशों के बावजूद यह देखा जा रहा है कि शासकीय सेवकों द्वारा सीधे मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष बिना विभागीय अनुमति प्राप्त किए उपस्थित हो रहे हैं। इस प्रकार की कार्य प्रणाली से न सिर्फ कर्मचारियों का अनुशासन प्रभावित होता है, बल्कि संबंधित कर्मचारी का भी समय व्यर्थ नष्ट होता है जिसके कारण उनके कार्यस्थल की सेवा भी प्रभावित होती है।
कहा है कि कई मामलों में यह देखा गया है कि कोई व्यक्तिगत समस्या के निराकरण के लिए संबंधित शासकीय सेवक मंत्रालय में मिलने आते हैं, उनकी समस्या का निराकरण संबधित विभागाध्यक्ष कार्यालय या जिला कार्यालय के स्तर से ही किया जा सकता है । यदि किसी प्रकरण विशेष के निराकरण, अनुमति के लिए पत्र मंत्रालय को संदर्भित किया गया है तो संबंधित कार्यालय द्वारा ही फॉओ-अप किया जा सकता है। इसके लिए संबंधित कर्मचारी को मंत्रालय भेजने की आवश्यकता नहीं है।
इस आदेश को नहीं मानने पर अधिकारी-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है। बिना अनुमति मिलने पहुंचने पर प्रसिविल सेवा नियम 1965 के नियम 21 के तहत कदाचरण माना जाएगा। संबंधित शासकीय सेवक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।