MBBS Admission 2025: छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस सीटों की संख्या 25 साल में 22 गुना बढ़कर 2180 हो गई है। वर्ष 2000 में जहां सिर्फ 100 सीटें थीं, वहीं अब 15 मेडिकल कॉलेज और अगले साल 2430 सीटों की संभावना है।
MBBS Admission 2025: प्रदेश में 25 साल में एमबीबीएस सीटें 22 गुना बढ़ गई हैं। जब वर्ष 2000 में राज्य का गठन हुआ, तब एक मेडिकल कॉलेज था। इसमें एमबीबीएस सीटों की संख्या महज 100 थी। अब सीटों की संख्या बढक़र 2180 हो गई हैं। अगले साल 2430 होने की संभावना है। यही नहीं 9 साल पहले सीटों की संख्या 700 थीं। महज 9 साल में भी तीन गुना सीटें बढ़ी हैं। इसका फायदा उन छात्रों को हो रहा है, जो नीट यूजी कर डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हैं। कट ऑफ भी अच्छा खासा गिरा है। यही नहीं छात्रों को दूसरे राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है।
मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए दूसरे राउंड की काउंसलिंग चल रही है। 24 सितंबर को आवंटन सूची जारी हो जाएगी। वर्ष 2000 में राजधानी में एकमात्र पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का संचालन हो रहा था। इसमें केवल 100 सीटें थीं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएमटी में किस तरह की प्रतिस्पर्धा रहती होगी। अब मेडिकल कॉलेजों की संख्या 15 पहुंच गई है, जिनमें 10 सरकारी हैं।
2016 में केवल 5 सरकारी व एक निजी मेडिकल कॉलेज प्रदेश में था। रायपुर के अलावा बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव व जगदलपुर में ही सरकारी कॉलेज थे। दुर्ग का निजी कॉलेज अधिग्रहण के बाद सरकारी बन गया है। वहां एमबीबीएस की 200 सीटें हैं। जबकि 5 निजी कॉलेज चल रहे हैं। इनमें रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज में जीरो ईयर होने के कारण 150 सीटें कम हो गई हैं।
प्रदेश के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की खाली 542 सीटों के लिए 20 सितंबर को च्वाइस फिलिंग पूरी हो गई है। बीडीएस की 396 सीटें खाली हैं। प्रदेश में पहले राउंड में प्रवेश की प्रक्रिया 23 अगस्त को पूरी हो गई थी। देशभर में एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि होने के कारण काउंसलिंग में देरी हुई। प्रदेश में भी तीन निजी मेडिकल कॉलेजों में 200 सीटें बढ़ी हैं।
स्टेट, मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे की सीटों को भरने के लिए डीएमई कार्यालय काउंसलिंग कराता है। जबकि 15 फीसदी ऑल कोटे की सीटें दिल्ली से भरी जाती हैं। वहीं 3 फीसदी सेंट्रल पुल की सीटें केंद्र सरकार भरती है। प्रदेश में 82 फीसदी सीटें स्टेट की होती हैं, जो केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध है। वहीं निजी कॉलेजों में 42.5-42.5 फीसदी सीटें स्टेट व मैनेजमेंट की तथा 15 फीसदी सीटें एनआरआई कोटे के लिए होती हैं।
MBBS Admission 2025: 2016 में गरीब सवर्णों यानी ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी कोटा तय किया गया। इसके पहले जनरल कोटे से सीटें मिलती थीं। इससे एडमिशन मुश्किल हो जाता था। कॉलेज की कुल सीटों के अनुसार गरीब सवर्णों के लिए सीटों का आवंटन किया गया। जैसे 150 सीटों वाले कॉलेजों के लिए 30, 100 सीटों के लिए 25 व 50 सीटों वाले कॉलेज के लिए अतिरिक्त 10 सीटें आवंटित की गईं। हालांकि आश्चर्यजनक रूप से 4 साल पहले एनएमसी ने दुर्ग में 150 सीटों के लिए 50 ईडब्ल्यूएस सीटें दे दीं, जो 33 फीसदी थी। इससे चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी भी भौंचक थे।