NIRF Ranking 2025: रिपोर्ट के अनुसार आईआईटी, एनआईटी, आईजीकेवी जैसे सभी संस्थानों ने रिसर्च, पेटेंट, प्रकाशन गुणवत्ता में भी सबसे कम स्कोर हासिल किए हैं।
NIRF Ranking 2025: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2025 जारी की गई है। रैंकिंग में राज्य के राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों और विश्वविद्यालयों की रैंक में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। एनआईआरएफ रैंकिंग के जारी किए डेटा को देखा जाए तो राज्य के सभी संस्थानों में यदि रिसर्च पर फोकस किया जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर राज्य के संस्थान और बेहतर कर सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार आईआईटी, एनआईटी, आईजीकेवी जैसे सभी संस्थानों ने रिसर्च, पेटेंट, प्रकाशन गुणवत्ता में भी सबसे कम स्कोर हासिल किए हैं। एक्सपर्ट की माने तो संस्थानों ने शिक्षण संसाधनों और फैकल्टी अनुपात जैसे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन शोध, पेटेंट और पीएचडी आउटपुट जैसे उच्च शिक्षा के मूल स्तंभों में प्रदर्शन में कमजोर रह गए हैं। परसेप्शन में सभी संस्थानों ने बहुत कम स्कोर किया है।
एनआईआरएफ के डेटा को देखें तो साफ हो जाता है कि आईआईटी भिलाई में प्रकाशन, पेटेंट, शोध गुणवत्ता, पीएचडी आउटपुट में कमी देखने को मिल रही है। एनआईटी रायपुर की कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। एनआईटी ने पेटेंट में भले ही आईआईटी से ज्यादा अंक हासिल किए हों, लेकिन प्रकाशन, पेटेंट, पीएचडी आउटपुट भी काफी कम है। साथ ही एनआईटी में फंड उपयोग में भी पीछे रह गया है।
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रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस विषय स्कोर (अधिकतम में से)
पब्लिकेशन 12.03 / 40
क्वालिटी ऑफ पब्लिकेशन 10.62 / 40
इंटेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स 4.00 / 10
स्टूडेंट्स स्ट्रेंग्थ 17.91/ 20
फैकल्टी स्टूडेंट रेशो 30.00/30
फैकल्टी क्वालिफिकेशन एंड एक्सपीरिएंस 18.76 / 20
फाइनेंसियल रिसोर्स यूटिलाइजेशन 14.91/30
आउटरीच और इंक्लूजन
ज्योग्राफिकल डाइवर्सिंटी 1.80 / 20
रीजनल डाइवर्सिटी 23.71 / 30
वुमेन डाइवर्सिटी 27.20 / 30
इकोनॉमिकली एंड सोशली चैलेंज्ड स्टूडेंट 1.47 / 20
एम्स ने शिक्षक-छात्र अनुपात में पूर्ण अंक हासिल किए हैं, जो दर्शाता है कि अध्यापन का बुनियादी ढांचा मजबूत है। संसाधनों के उपयोग में प्रदर्शन कमजोर है। छात्रों की परीक्षा प्रदर्शन और उच्च शिक्षा में प्रवेश के मामले में संस्थान का प्रदर्शन सराहनीय है। यह बताता है कि शिक्षण की गुणवत्ता बेहतर है। एम्स में महिला और दिव्यांग छात्रों की भागीदारी में अच्छा प्रदर्शन है, लेकिन क्षेत्रीय व आर्थिक-सामाजिक विविधता में बेहद कमजोर स्कोर चिंता का विषय है।