Azam Khan News Today Hindi: सपा के बड़े नेता आजम खान (Azam Khan) मंगलवार को 23 महीने बाद जेल से रिहा होंगे। जानिए कैसे उनकी वापसी यूपी की राजनीति में हलचल ला सकती है, आगामी चुनावों पर उनका असर और सपा व भाजपा के लिए संभावित रणनीतियाँ।
Azam khan news return impact up politics: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan), जो अक्तूबर 2023 से सीतापुर जेल में बंद थे, मंगलवार को 23 माह बाद जेल से रिहा होंगे। सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि आजम की रिहाई न सिर्फ सपा के लिए बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए एक नई हलचल लेकर आएगी। आजम का राजनीतिक रसूख रामपुर के अलावा आसपास के जिलों में भी भारी प्रभाव रखता है और उनका फैसला हमेशा पार्टी की दिशा तय करता रहा है।
आजम खान (Azam Khan) का नाम सपा में यूपी के बड़े चेहरे के तौर पर जाना जाता है। रामपुर में प्रत्याशी का ऐलान आजम के कार्यालय से होता रहा है, जबकि लखनऊ में केवल औपचारिक मंजूरी मिलती थी। जेल में रहते हुए भी आजम समय-समय पर सियासत में हलचल लाते रहे। उनके विरोधी न केवल सक्रिय हुए बल्कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत भी हुए, बावजूद इसके आजम की लोकप्रियता और कद में कोई कमी नहीं आई।
आजम खान (Azam Khan) की रिहाई से पहले ही अटकलें शुरू हो गई हैं कि वह सपा छोड़ सकते हैं और बसपा या आजाद समाज पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। जेल में रहते हुए उन्होंने चंद्रशेखर से मुलाकात की है। हालांकि, उनके लंबे राजनीतिक कॅरियर और पहले के ऐलानों को देखें तो यह संभावना कम लगती है, क्योंकि आजम कई बार मंच से यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे सपा के संस्थापक सदस्य हैं और पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में आजम खान ने अपनी राजनीतिक ताकत का बेहतरीन प्रदर्शन किया। मुरादाबाद में 2024 के चुनाव में उन्होंने एसटी हसन का टिकट कटवाकर अपनी पसंद रुचि वीरा को टिकट दिलाया था। रामपुर में टिकट फाइनल होने से पहले भी आजम खान (Azam Khan) का रुख निर्णायक रहा। यह दर्शाता है कि आजम की राजनीतिक पकड़ कितनी मजबूत है और आने वाले चुनावों में उनका प्रभाव कितना महत्वपूर्ण होगा।
यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे और 2026 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव। राजनीतिक दल इस समय आजम खान (Azam Khan) के अगले कदम और रणनीति को नफा-नुकसान के नजरिए से देख रहे हैं। सपा के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आजम के सहारे मुस्लिम मतदाताओं को वापस पार्टी में लाया जा सके और भाजपा के लिए यह देखना महत्वपूर्ण है कि आजम की तकरीरों से अपने वोट बैंक का कितना ध्रुवीकरण हो सकता है।