Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने अयोध्या दीपोत्सव और ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दीपोत्सव को दिखावा बताते हुए कहा- “जो दीया जला सकता है, वो कुछ भी जला सकता है।” साथ ही, बरेली हिंसा को प्रशासन की नाकामी और साजिश बताया।
Azam khan statement on ayodhya deepotsav: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर आजम खान के बयान ने हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने मंगलवार को पहली बार ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर खुलकर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि यह विवाद आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की एक सोची-समझी साजिश थी। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा- “अगर मैं इसे चिंगारी भी कहूं, तो यह छोटी सी बात इतनी बड़ी आग कैसे बन गई? अगर जिला प्रशासन चाहता, तो बातचीत से मामला सुलझाया जा सकता था।”
इसके साथ ही आजम ने अयोध्या दीपोत्सव को लेकर भी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग दीया जला सकते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं। यह टिप्पणी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने अयोध्या दीपोत्सव के खर्चे पर सवाल उठाया था।
आजम खान ने बातचीत के दौरान मशहूर शायर कुंवर महेंद्र सिंह बेदी की शायरी सुनाई- “इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं, सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद पे इजारा तो नहीं।” उन्होंने कहा कि यह शायरी हमें फिर से इंसानियत का सबक सिखाती है। आजम खान ने आगे कहा कि अगर कोई किसी से मोहब्बत करता है, तो यह उसका पैदायशी हक है। जो मजहबी पेशवा होते हैं, वे केवल एक धर्म के नहीं होते, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए मिसाल होते हैं।
आजम ने कहा कि समाज को यह समझना होगा कि किसी भी धार्मिक प्रतीक या नाम को लेकर विवाद खड़ा करना गलत है। हमें उनकी सीखों को अपनाना चाहिए, न कि उन्हें राजनीतिक विवाद में बदलना चाहिए।
अयोध्या दीपोत्सव को लेकर अपने बयान को और स्पष्ट करते हुए आजम खान ने कहा कि दीवाली पर दीये जलते नहीं, बल्कि रोशन होते हैं। उनका मकसद उजाला देना और ठंडक फैलाना होता है। नफरतों के अंधेरों को मिटाना ही दीपों का सच्चा अर्थ है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम इन दीयों की असली भावना को समझ लें, तो समाज में कभी नफरत नहीं फैलेगी। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों की सराहना करता हूं जो उजाले की बात करते हैं, क्योंकि उजाला इंसानियत की पहचान है।
‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर आजम खान ने कहा कि कोई भी मामला कितना भी बिगड़ जाए, उसका हल बातचीत से ही निकलता है। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी शांति समझौता टेबल पर हुआ था। उन्होंने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रशासन ने हालात को संभालने में देर की, जिससे स्थिति बिगड़ गई।
26 सितंबर को बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर को लेकर हिंसा भड़क गई थी। मौलाना तौकीर रजा की अपील पर भीड़ सड़कों पर उतर आई और पुलिस से झड़प हो गई। पुलिस ने बाद में 81 लोगों को गिरफ्तार किया और 10 FIR दर्ज की। करीब 2,500 उपद्रवियों में से 200 को नामजद किया गया।
दरअसल, यह विवाद 4 सितंबर को कानपुर से शुरू हुआ था, जब ईद-मिलाद-उन-नबी के जुलूस में “I Love Muhammad” लिखा लाइटबोर्ड लगाया गया। हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद विवाद कई शहरों तक फैल गया। जवाब में “I Love Mahadev” और “I Love Mahakaal” जैसे बैनर भी लगाए गए।