धर्म और अध्यात्म

Makar Sankranti 2026 : 14 जनवरी को दो शुभ संयोग, जानें महापुण्य काल का समय और दान का महत्व

Makar Sankranti 2026 14 जनवरी को मनाई जाएगी। जानें सूर्य गोचर का समय, महापुण्य काल, शुभ योग, दान का महत्व और उत्तरायण का धार्मिक रहस्य।

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Dec 21, 2025
Makar Sankranti 2026 : मकर संक्रांति 2026 तिथि और समय (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Makar Sankranti 2026 : हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है। मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है। ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी को दोपहर में 3:13 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी। इस दिन महापुण्य काल (Makar Sankranti Maha Punya Kaa) दोपहर 3:13 मिनट से शाम 4:58 मिनट तक रहेगा।

मकर संक्रांति का महा पुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट का होगा। भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति को गुजरात मंर उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है। धनुर्मास की संक्रांति समाप्त होते ही मकर राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं, अलग-अलग प्रकारों से शास्त्रीय महत्व वाले दान पुण्य का अनुक्रम आरंभ हो जाता है।

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ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति महापर्व काल के दौरान चावल, मूंग की दाल, काली तिल्ली, गुड, ताम्र कलश, स्वर्ण का दाना, ऊनी वस्त्र आदि का दान करने से सूर्य की अनुकूलता पितरों की कृपा भगवान नारायण की कृपा साथ ही महालक्ष्मी की प्रसन्नता देने वाला सुकर्मा योग भी सहयोग करेगा, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इन योगों में संबंधित वस्तुओं का दान पितरों को तृप्त करता है जन्म कुंडली के नकारात्मक प्रभाव को भी दूर करता है और धन-धान्य की वृद्धि करता है।

मकर संक्रांति शुभ संयोग | Makar Sankranti Auspicious Coincidence

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि संक्रांति के दिन दो शुभ योग बनने वाले हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:15 बजे से शुरू होगा, जो अगले दिन तड़के 03:03 बजे तक रहेगा। वहीं, अमृत सिद्धि योग भी सुबह 07:15 बजे से 15 जनवरी को सुबह 03:03 बजे तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया स्नान और दान पुण्य फलदायी होगा।

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त | Makar Sankranti 2026 Shubh Muhurat

मकर संक्रांति का पुण्य काल 2 घंटे 32 मिनट तक रहेगा। उस दिन पुण्य काल दोपहर में 3:13 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 5:45 मिनट तक मान्य होगा। मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात:काल में 05:27 बजे से 06:21 बजे तक है। मकर संक्रांति पर महा पुण्य काल में स्नान करना शुभ माना जाता है।

माता गायत्री की आराधना

मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और देवताओं का प्रात:काल भी शुरू होता है। सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणों की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी। मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु होने के बाद मोक्ष मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास भी शुरू होता है। धर्म ग्रंथों में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे अच्छा और कोई समय नहीं बताया है।

दान करने से शुभ फल की प्राप्ति | Makar Sankranti 2026 Daan Importance

तिल, गुड़ और कपड़ों का दान करने से अशुभ ग्रहों का बुरा असर कम होगा। गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़े का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। माह के रविवार के दिन तांबे के बर्तन में जल भर कर उसमें गुड़, लाल चंदन से सूर्य को अर्ध्य देने से पद सम्मान में वृद्धि होने के साथ शरीर में सकारात्मक शक्तियों का विकास होता है। साथ ही आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होता है।

सूर्य की आराधना मंगलकारी

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह का अपना महत्व रहा है। पौष माह हिंदू पंचांग के अनुसार 10वां महीना होता है। इसी माह में मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है जिसके कारण ठंड अधिक बढऩे के साथ इस मास को पौष अर्थात पूस माह भी कहा जाता है। यही माह भगवान सूर्य और विष्णु की उपासना के लिए श्रेयकर होता है। पौष माह में भगवान सूर्य की उपासना करने से आयु व ओज में वृद्धि होने के साथ स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। सूर्य की उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

मोक्ष और बैकुंठ की प्राप्ति

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने शरीर का त्याग करता है, उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और वह सीधे 'बैकुंठ धाम' को प्राप्त होता है। भीष्म पितामह जानते थे कि दक्षिणायन में देह त्यागने से जीव को पुनर्जन्म लेना पड़ सकता है। इसीलिए, पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति और आध्यात्मिक शुद्धि के उद्देश्य से उन्होंने सूर्य के देवलोक (उत्तर दिशा) की ओर उन्मुख होने तक प्रतीक्षा की।

सूर्य के उत्तरायण का महत्व | Surya Gochar Makar Rashi 2026

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, एक वर्ष को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है: उत्तरायण और दक्षिणायन। मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य धनु राशि का त्याग कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तो इसे सूर्य का उत्तरायण होना कहा जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से सूर्य का उत्तरायण काल 'देवताओं का दिन' माना जाता है, जबकि दक्षिणायन को 'देवताओं की रात्रि' कहा जाता है।

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Published on:
21 Dec 2025 12:33 pm
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