Kumar Vishwas : महज दो शब्दों से समझा दिया श्रीराम और रावण का अंतर। युवाओं को दिया जीवन जीने की कला सीखने का मंत्र
Kumar Vishwas : वेस्ट के लोगों की डोल की लड़ाईयों ने प्रयागराज में कोठियां खड़ी करवा दी है। ये बात शनिवार को सहारनपुर पहुंचे विख्यात कवि व कथाकार डॉक्टर कुमार विश्वास ने ''अपने-अपने राम'' कार्यक्रम के मंच से कही। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर महत्वकांक्षा 100 प्रतिशत होनी चाहिए और लालच शून्य प्रतिशत लेकिन आज समाज में उल्टा हो रहा है महत्वकांक्षा शून्य हो गई है और लालच 100 प्रतिशत।
नगर के व्यापारियों और उद्यमियों की संस्था सीआईएस ने यहां डॉक्टर कुमार विश्वास को बुलाया था। अंबाला रोड स्थित एक विशाल मैदान में भव्य इंतजाम किए गए और राम दरबार की आकृति का बेहद सुंदर मंच बनाया गया था। कार्यक्रम में श्रीराम कथा सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। कुमार विश्वास ने राम और रावण का अंतर समझाते हुए कहा कि दोनों के बीच प्राप्त और प्रयाप्त का अंतर है। रावण के पास सब कुछ है फिर भी उसके मन पर प्राप्त करने की इच्छा हावी है और राम के पास जो है वो पर्याप्त है उनके मन में संतोष है।
इसके बाद उन्होंने कहा कि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हम इच्छाएं करना छोड़ दें। इसका मतलब ये है कि हमारी इच्छाएं जनहित वाली हों। श्रीराम की इच्छाएं सात्विक और जनहित वाली हैं जबकि रावण की इच्छाएं इसके विपरीत हैं। उन्होंने कार्यक्रम में आए सभी लोगों से आह्वान किया कि अगर उन्हे जीवन जीने की कला सीखनी है तो राम कथा सुने और रामचरित मानस पढ़े। बोले कि श्रीराम ''भगवान'' हैं लेकिन उन्होंने एक साधारण मनुष्य का जीवन जीया। उनके जीवन में कोई चमत्कार नहीं है, उन्होंने करके दिखाया कि बिना किसी चमत्कार और साधन के भी सत्य के साथ जीत हांसिल की जा सकती है।
ये कार्यक्रम करीब तीन घंटे तक चला। इसमें करीब ढाई घंटे तक अकेले डॉक्टर कुमार विश्वास ने ''अपने-अपने राम'' पर आधारित कथा कही। इस दौरान वह श्रीराम से लेकर हनुमान, भरत, सबरी, लक्ष्मण, विभिषण, केवट और महान नायक महाराणा प्रताप के चरित्र पर बोले। कार्यक्रम के दौरान सभी श्रद्धालु राममयी हो उठे। कथा के बीच-बीच में कुमार विश्वास ने कथा सुनने आए संत और राजनेताओं समेत सहारनपुर के अन्य लोगों से संवाद भी बनाया और नाम से संबोधित करते हुए लोगों के अपने साथ जोड़े रखा।
श्रीराम कथा कहते हुए डॉक्टर कुमार विश्वास ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम थे या नहीं इस बात का मुकदमा चल रहा था तो उसी सुप्रीम कोर्ट में रामनवमी की छुट्टी पड़ गई। बोले कि उस समय मैने न्यायमूर्ति से फोन पर बात की और कहा कि जब राम नहीं है! तो छुट्टी क्यों पड़ी ? और अगर छुट्टी पड़ी है तो राम होंगे तभी छुट्टी पड़ी।
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