श्योपुर

आज से गांधी सागर अभयारण्य संभालेगी ‘धीरा’, चीतों के दूसरे घर में कुनबा बढ़ाने की तैयारी

Project cheetah: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट चीता के तीन साल पूरे, कई चुनौतियों और संघर्ष के साथ बड़ी शुरुआत, अब दूसरे घर जाएगी फीमेल चीता धीरा, दो मेल चीते करेंगे स्वागत...

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Sep 16, 2025
cheetah project mp

Project Cheetah Three Years: भारत और मध्यप्रदेश के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता को तीन साल पूरे हो गए हैं। इसी खुशी के मौके पर अब चीतों को नया घर मिलने जा रहा है। 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क से एक मादा चीता 'धीरा' को गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ा जाएगा। यह कदम इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि, यह कूनो से बाहर चीतों की पुनर्स्थापना के तहत दूसरे घर में पहला बड़ा मूवमेंट होगा। इससे भारत में चीतों के लिए वैकल्पिक आवास तैयार होंगे और उनकी आबादी के सुरक्षित विस्तार का रास्ता खुलेगा।

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दो मेल चीता पहले ही बन चुके हैं गांधी सागर अभयारण्य का हिस्सा

बता दें कि 20 अप्रैल 2025 को गांधी सागर में दो नर चीते छोड़े जा चुके हैं। अब उनके साथ 'धीरा' के आने से यहां प्रजनन की संभावना भी बढ़ जाएगी। वन विभाग की योजना है कि आने वाले समय में और भी चीते गांधी सागर भेजे जाएं ताकि, यहां की पारिस्थितिकी में उनका स्थायी ठिकाना बन सके।

शिफ्टिंग प्रक्रिया जरूरी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह शिफ्टिंग प्रक्रिया जरूरी है, क्योंकि एक ही जगह बड़ी संख्या में चीतों को रखना जोखिम भरा हो सकता है। अलग-अलग अभयारण्यों में उन्हें बसाने से उनके लिए सुरक्षित स्पेस और बेहतर ब्रीडिंग ग्राउंड तैयार करना सबसे अहम है।

कूनो नेशनल पार्क से गांधी सागर तक: प्रोजेक्ट चीता का एक अहम सफर

-तीन साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को अपना जन्म दिन श्योपुरजिले के कूनो में प्रोजेक्ट चीता के बीच मनाया। यहां नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ा गया था।

-तब से अब तक इस प्रोजेक्ट (Project Cheetah) ने कई पड़ाव पार किए हैं। साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाए गए। यानी भारत में चीता प्रोजेक्ट की एक नई शुरुआत के साथ यहां लाकर 20 चीतों को बसाया गया।

-तीन साल में यह संख्या बढ़कर 27 हो चुकी है।

-इनमें 16 शावक भारत की धरती पर जन्मे हैं। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। अब गांधी सागर में चीतों को शिफ्ट करना प्रोजेक्ट के विस्तार की दिशा में अगला बड़ा कदम है।

क्यों जरूरी है नया घर?

कूनो नेशनल पार्क की कैपेसिटी सीमित है। यहां पहले से ही बाघ, तेंदुए और अन्य शिकारी मौजूद हैं। इस वजह से चीतों के लिए भोजन, क्षेत्र और सुरक्षा की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। गांधी सागर अभयारण्य का क्षेत्रफल बड़ा है और यहां चीतों के लिए पर्याप्त शिकार भी उपलब्ध है। इससे कूनो पर दबाव कम होगा और चीतों के घर बढ़ाने का नया मौका मिलेगा।

अधिकारियों की उम्मीदें

प्रोजेक्ट चीता के डायरेक्टर उत्तम कुमार कहते हैं, प्रोजेक्ट चीता बेहद मुश्किल है, लेकिन अब तक की सफलता उम्मीद जगाती है। गांधी सागर में चीतों को भेजना इसी प्रक्रिया का अगला हिस्सा है। धीरा का जाना इस प्रोजेक्ट को नई दिशा देगा।

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Updated on:
17 Sept 2025 08:00 am
Published on:
16 Sept 2025 05:25 pm
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