कोई इसे नामांकन बढ़ाने वाला कदम मान रहा है, तो कोई इसे ग्रीष्मावकाश के बाद बच्चों की पढ़ाई पर असर डालने वाला निर्णय बता रहा है।
राजस्थान में सरकारी स्कूलों का नया शैक्षणिक सत्र 1 अप्रेल से शुरू करने की तैयारी ने बहस छेड़ दी है। सचिव स्तर की बैठक के बाद शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों को कार्य योजना बनाने के निर्देश तो दे दिए लेकिन शिक्षक संगठनों के बीच इस बदलाव को लेकर राय अलग-अलग है।
कोई इसे नामांकन बढ़ाने वाला कदम मान रहा है, तो कोई इसे ग्रीष्मावकाश के बाद बच्चों की पढ़ाई पर असर डालने वाला निर्णय बता रहा है। सत्र परिवर्तन के पक्ष और विपक्ष में तर्कों की बौछार है, और विभाग के सामने व्यवहारिक चुनौतियों की लंबी सूची भी।
नया सत्र 1 जुलाई से ही शुरू होना बेहतर रहेगा। क्योंकि 16 मई से 30 जून तक ग्रीष्मावकाश रहता है। ऐसे में अप्रेल व मई में करवाए गए पाठ्यक्रम के बाद जुलाई में बहुत से विद्यार्थी स्कूल बदलते हैं। उनके लिए पाठ्यक्रम दुबारा करवाने की समस्या रहती है। जो नियमित रहते हैं वे भी ग्रीष्मावकाश में पढ़ाए गए पाठों को भूल जाते है।
बसन्तकुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा
सरकारी व निजी विद्यालयों में प्रतिस्पर्धा के दौर में नया सत्र 1 अप्रेल से शुरू करना अच्छा है। बच्चों को जल्दी स्कूल भेजने की अभिभावकों की मानसिकता की वजह से इससे सरकारी स्कूलों का नामांकन भी बढ़ेगा। संगठन भी शिक्षा मंत्री को इस संबंध में ज्ञापन देगा।
संपतसिंह चारण, प्रदेश सभाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
नया सत्र 1 अप्रेल से शुरू करना अच्छी पहल है। निजी स्कूलों के साथ प्रवेश शुरू होने से सरकारी स्कूलों के नामांकन पर सकारात्मक असर होगा। लेकिन, इस सत्र की वार्षिक शिक्षण व परीक्षा योजना के हिसाब से इसे 2027 से लागू करना चाहिए। ये औपचारिकता से भी दूर हो।
फारुख अली, जिला मंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शे)