Udaipur Ke Amarnath Gupteshwar Mahadev Gufa: यहां गुफा में पहले प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग था, उसके खंडित होने पर 1962 में गुप्तेश्वर महादेव की स्थापना की गई। रोडीदास, फूलनाथ, फलाहारी सहित कई संतों ने यहां तप किया।
Sawan 2025 Special Shiv Temple: सावन शुरू होते ही उदयपुर शहर के दक्षिण में तितरड़ी में गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में रोज दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सावन के सोमवार के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। अरावली पर्वत शृंखला में होड़ा पहाड़ पर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित इस मंदिर को उदयपुर का अमरनाथ कहा जाता है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए 800 मीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। पिछले वर्षों में मंदिर के आस-पास कई कॉलोनियां विकसित हो गई हैं, लेकिन अभी भी यहां शांत माहौल रहता है। 1951 में संत बृज बिहारी बन श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की जमात के साथ यहां आए। यहां गुफा में पहले प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग था, उसके खंडित होने पर 1962 में गुप्तेश्वर महादेव की स्थापना की गई। रोडीदास, फूलनाथ, फलाहारी सहित कई संतों ने यहां तप किया। मंदिर तक पहुंचने के लिए संकरा प्रवेश द्वार है, जिसके बाद सीढ़ियां गर्भगृह तक ले जाती हैं। वर्ष 2019 में संत बृज बिहारी बन के समाधि लेने के बाद से संत तन्मय बन मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार मंदिर में भाद्रपद पूर्णिमा पर दो दिवसीय मेला भरता है, जहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। साथ ही महाशिवरात्रि, प्रदोष, पूर्णिमा व अमावस्या को अनुष्ठान होते हैं।
यह मंदिर उदयपुर-अहमदाबाद मार्ग पर उदयपुर सिटी से 8 किलोमीटर दूर है। निजी वाहन और नगरीय परिवहन के साधनों से यहां पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए वाहन को नीचे खड़ा करके पैदल ही ऊपर चढ़ना पड़ता है। उदयपुर देश के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है। यहां के लिए कई शहरों से वायु सेवा भी उपलब्ध है।