उदयपुर

राजस्थान में नई हिल पॉलिसी एक माह में होगी लागू, अब बचेंगी अरावली पहाड़ियां

Rajasthan News : राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि नई हिल पॉलिसी एक माह में लागू हो जाएगी। अब अरावली पहाड़ियां बचेंगी। साथ ही संरक्षण को नई दिशा मिलेगी।

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Rajasthan News : राजस्थान में अब एक माह में नई हिल पॉलिसी लागू हो जाएगी। इससे अरावली की पहाड़ियां बचेंगी, वहीं संरक्षण को नई दिशा मिलेगी। यह जानकारी राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में दी है। राजस्थान पत्रिका की ओर से अरावली संरक्षण को लेकर लगातार चलाई गई मुहिम को बड़ी सफलता मिली है। जोधपुर हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा कि नई हिल पॉलिसी को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायाधीश चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने 18 मार्च को सुनवाई की। झील संरक्षण समिति की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शरद कोठारी ने मौजूदा स्थिति को लेकर अपना पक्ष रखा था। इसका आदेश बुधवार को सामने आया है।

अंतिम चरण में है नीति का मसौदा

जोधपुर उच्च न्यायालय डिवीजन बेंच ने सिविल रिट याचिका संख्या 1374/2019 झील संरक्षण समिति बनाम राजस्थान राज्य में सुनवाई की थी। नीति का मसौदा अंतिम चरण में है और एक माह में पॉलिसी जारी कर दी जाएगी।

अगली सुनवाई 21 अप्रेल को तय

न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी और न्यायमूर्ति चंद्रप्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 21 अप्रेल को तय की। तय समय तक 63 आपत्तियां मिली, जिनका निस्तारण 6 मार्च को हुई बैठक में किया। इसे लेकर कोर्ट ने अगली सुनवाई तक स्पष्ट किया है कि अरावली पर्वत शृंखला में नियमों का उल्लंघन करके हो रही निर्माण गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी।

पत्रिका मुहिम को मिली सफलता

लगातार अरावली पर्वत शृंखला को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसको लेकर राजस्थान पत्रिका ने लगातार समाचार प्रकाशित कर अरावली पर्वतमाला को बचाने की मुहिम छेड़ी। विभिन्न समाज संगठन भी आगे आए और अरावली संरक्षण की बात रखी। लिहाजा अब नई हिल पॉलिसी बन रही है।

यह अरावली संरक्षण के लिए होगा बड़ा कदम

वर्ष 2018 के ड्राफ्ट में पहाड़ों को बचाने के बजाय नुकसान पहुंचाने की व्यवस्था कर दी गई थी। अब हम ये विश्वास करते हैं नई हिल पॉलिसी आएगी, वो पहाड़ों की सुरक्षा करने के लिए उपयोगी होगी। यह अरावली संरक्षण के लिए बड़ा कदम होगा।
अनिल मेहता, पर्यावरणविद

Published on:
20 Mar 2025 01:15 pm
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