उदयपुर के सनावड़ा निवासी नारायण सिंह सिसोदिया की कहानी संघर्ष से सफलता की मिसाल है। गरीबी, पढ़ाई में कमजोरी और अपनों को खोने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। क्रिकेट का सपना अधूरा रहा, लेकिन पत्नी के सहयोग से सोशल मीडिया पर कॉमेडी वीडियो बनाकर ‘दासा’ के नाम से पहचान बनाई।
उदयपुर: सपनों की उड़ान हर किसी को मिलती है, लेकिन हालातों की आंधी में जो टिक जाए, वही अपनी अलग पहचान बनाता है। ऐसी ही प्रेरक कहानी है सनावड़ा के एक साधारण युवक नारायण सिंह सिसोदिया की, जिसने पढ़ाई में कमजोर होने के ताने सुने, गरीबी झेली, अपनों को खोया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उसने ठान लिया था कि अगर किताबें साथ नहीं दे रहीं, तो मेहनत और हुनर के दम पर नाम जरूर रोशन करेगा।
स्कूल के दिनों में क्रिकेट उसका जुनून बन गया। मैदान पर उसका खेल देखते ही बनता था। प्रतिभा थी, मौके भी थे। गांव के युवाओं को जोड़कर उसने अपनी टीम बनाई और अपने गांव सनावड़ा के नाम पर ही टीम का नाम रखा। आसपास जहां भी प्रतियोगिता होती, वह पूरी टीम के साथ पहुंच जाता। गांव के लिए खेलने का गर्व और जीत की चाह, दोनों उसके भीतर गहराई से बसे थे।
वर्ष 2019 ने उसकी जिंदगी की दिशा बदल दी। मां का देहांत हुआ और ममता का साया सिर से उठ गया। यह आघात उसे भीतर तक तोड़ गया। घर की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी, ऐसे में आगे बढ़ने का रास्ता धुंधला नजर आने लगा।
हालात ऐसे नहीं थे कि कुछ नया शुरू किया जा सके। इसी दौर में दोस्तों ने हौसला दिया और 2021 में दोबारा क्रिकेट से जुड़ने की सलाह दी। साथ ही एक अहम सुझाव भी मिला। सोशल मीडिया को अपनी ताकत बनाओ, क्योंकि सिर्फ क्रिकेट से पेट नहीं भरने वाला।
दोस्तों की बात मानकर नारायण ने सोशल मीडिया की दुनिया में कदम रखा। शुरुआत धार्मिक स्थलों के वीडियो से की और गांव के नाम से आईडी बनाई। कुछ ही समय में करीब 12 हजार फॉलोअर्स बने, लेकिन उम्मीद के मुताबिक पहचान नहीं मिली। निराशा के बीच फिर दोस्तों ने रास्ता दिखाया-कॉमेडी वीडियो बनाओ।
पत्नी विष्णुकंवर को भी साथ जोड़ने की सलाह दी गई। शुरुआत में पत्नी झिझकीं, लेकिन धीरे-धीरे दोनों कैमरे के सामने सहज हो गए। पति-पत्नी की सादगी भरी कॉमेडी लोगों को खूब पसंद आई और देखते ही देखते फॉलोअर्स की संख्या 50 हजार के पार पहुंच गई। कॉमेडी के जरिए वे मेवाड़ी भाषा को बढ़ावा दे रहे।
संघर्ष के दिनों में नारायण ने कभी कैटरिंग में काम किया, तो कभी बाउंसर बनकर खुद का और परिवार का खर्च उठाया। उसका कहना है कि अगर आर्थिक हालात बेहतर होते, तो वह टॉप क्रिकेटर बन सकता था। 2013 में शादी के बाद भी मुश्किलें कम नहीं हुईं, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। पत्नी हर कदम पर साथ देती रहीं।
इसी बीच परिवार पर एक और वज्रपात हुआ। साले भगवत सिंह देवड़ा का सड़क हादसे में निधन हो गया। इस सदमे से पत्नी टूट गईं और कुछ समय के लिए कॉमेडी वीडियो बनाने से दूरी बना ली। कुछ महीने निराशा में गुजरे, लेकिन परिवार और रिश्तेदारों के समझाने पर दोनों ने फिर से हिम्मत जुटाई और अपने लक्ष्य की ओर लौट आए।
‘दासा’ के नाम से पहचान बना चुके नारायण कहते हैं, उन्होंने पिताजी से वादा किया था कि वह एक दिन उनका नाम रोशन जरूर रोशन करेगा। क्रिकेटर नहीं बन पाए, तो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनकर वही वादा निभा रहे हैं। आज उनके एक लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं।
वह अपने पैशन के साथ-साथ पिताजी की पूरी देखभाल भी करते हैं। पिता भी बेटे-बहू को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। नारायण ने यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे हों, अगर इरादे मजबूत हों तो रास्ता जरूर निकलता है।