Mahavir Jayanti 2022: महावीर जयंती 14 अप्रेल को मनाई जाएगी। ईसा से छह सौ वर्ष पूर्व जन्में भगवान महावीर के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। महावीर जयंती प्रशिक्षण संस्थाओं से लेकर सामाजिक संस्थाओं तक में धूमधाम से मनाते हैं।
जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव चैत्र शुक्ल त्रयोदशी यानि 14 अप्रैल के दिन सम्पूर्ण विश्व में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को महावीर त्रयोदशी भी कहते हैं। उनका इस पवित्र धरा पर जन्म ईसा से छह सौ वर्ष पूर्व भले ही हुआ हो, किन्तु उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उस समय थे।
भारतीय समाज में एक अनोखा आंदोलन भगवान महावीर ने ईसा की छठी शताब्दी पूर्व चलाया था। उस अभियान को हम शुद्धता का अभियान कह सकते हैं। भगवान महावीर ने दो तरह की शुद्धता की बात कही- अंतरंग शुद्धता व बहिरंग शुद्धता। क्रोध, मान, माया, लोभ ये चार कषायें हैं। ये आत्मा का मल-कचड़ा है। भगवान महावीर ने मनुष्य में सबसे पहली आवश्यकता इस आंतरिक कचड़े को दूर करने की बताई। उनका स्पष्ट मानना था कि यदि क्रोध, मान, माया, लोभ और इसी तरह के अन्य हिंसा के भाव आत्मा में हैं तो वह अशुद्ध है और ऐसी अवस्था में बाहर से चाहे कितना भी नहाया-धोया जाए, वह सब व्यर्थ है।
ये है मुहूर्त
महावीर जयंती 14 अप्रैल, 2022 को मनाई जाएगी। इस दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ सुबह 4 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी। जबकि त्रयोदशी तिथि का समापन 15 अप्रैल, 2022 की सुबह 3 बजकर 55 मिनट पर होगा।
महावीर स्वामी ने दिया माफ करने का संदेश
एक बार महावीर स्वामी वन में तपस्या कर रहे थे। जब कुछ लोगों ने उन्हें देखा तो महावीर स्वामी को इस अवस्था में देखकर उनके साथ मजाक करने लगे। लेकिन स्वामी अपनी तपस्या में मग्न रहे। उन्होंने जब ये बात जाकर गांव वालों को बताई तो सभी लोग उन्हें देखने जंगल में आए। कुछ लोगों ने महावीर के बारे में सुन रखा था। जब स्वामीजी ने आंखें खोली तो उन लोगों को अपनी करनी पर पछतावा हुआ और अपनी गलती की माफी मांगने लगे। भगवान महावीर ने सभी की बातें शांति से सुनी और कहा कि “ ये सभी लोग मेरे अपने ही हैं। जब बच्चे नासमझ होते हैं तो अपने माता-पिता का मुंह नोचते हैं, मारते हैं। लेकिन परेशान होकर माता-पिता बच्चों से नाराज नहीं होते हैं। मैं भी इन लोगों से नाराज नहीं हूं।”