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कोमा में जिंदगी-मौत से जूझ रही हिंदुस्तान की बेटी, अमेरिका में उसके साथ क्या हुआ, क्यों थाने के चक्कर काट रहे हैं पिता?

Indian Girl Coma In USA: आरती सिंह की हालत गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों ने सांस लेने और खाने में मदद के लिए गर्दन और पेट की बड़ी सर्जरी की है। आरती के पिता अमेरिका में अकेले पड़ गए हैं, सोने के लिए उनके पास घर नहीं है, हादसे के बाद पोलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहे हैं।

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Dec 11, 2025
अमेरिका में आरती सिंह की हालत गंभीर। (इमेज सोर्स: HAWK)

Aarti Singh Health Update: अमेरिका के एक अस्पताल में हिंदुस्तान की बेटी आरती सिंह (Aarti Singh) जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। एक बड़ी सर्जरी के बाद वह कोमा में है, ना ही वह बोल पा रही है और ना आंखें खोल पा रही। दूसरी तरफ उसके पिता अमेरिका में बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। उनके पास न रहने की जगह है और न ही कोई सहारा। वहां की भाषा भी उनको चुनौती दे रही है। वह कभी अस्पताल के चक्कर काट रहे है, तो कभी पुलिस स्टेशन के। उनके दिल में बस अब एक ही आवाज है कि “जाग जाओ बेटी… मैं यहीं हूं।”

पर आखिर आरती (Aarti Singh) के साथ अमेरिका में ऐसा क्या हुआ कि एक बाप पर टूट पड़ा इतना बड़ा दुख? क्यों उसे अकेले थाने-दर-थाने भटकना पड़ रहा है? ये सवाल सिर्फ दर्द नहीं, एक भारतीय पिता की बेबसी की सबसे कड़वी तस्वीर बन गई है, चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं।

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भयानक हादसे के बाद कोमा में आरती सिंह

दरअसल, अमेरिका के सैन जोस में रहने वाली युवा भारतीय लड़की आरती सिंह (Aarti Singh) एक भयानक सड़क हादसे के बाद कोमा में जीवन और मौत के बीच जूझ रही है। 9 नवंबर को वह एक प्रोफेशनल नेटवर्किंग इवेंट से लौट रही थीं। घर के पास सड़क पार करते समय एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी। तब से वह बेहोश हैं और सांता क्लारा वैली मेडिकल सेंटर में उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने उनकी सांस और भोजन की नली को सही रखने के लिए गर्दन और पेट की बड़ी सर्जरी की है।

आरती के पिता सुमिरन सिंह अकेले अस्पताल में बेटी के पास घंटों बैठे रहते हैं। बताया जा रहा है, अमेरिका में उनका कोई अपना नहीं है, न परिवार, न दोस्त। वे हर दिन बेटी से बातें करते हैं, इस उम्मीद में कि वह शायद उन्हें सुन ले। उनका दर्द सिर्फ इतना है कि उन्हें अभी तक हादसे की पूरी जानकारी नहीं दी गई। बस इतना बताया गया कि कार चलाने वाला 50 साल का एक व्यक्ति था, जिसके पास बीमा भी नहीं था।

पुलिस की ओर से ड्राइवर की पहचान या किसी कार्रवाई पर कोई अपडेट नहीं मिला है, जिससे पिता की चिंता और बढ़ गई है। ऊपर से उनके पास आरती के दस्तावेज, फोन या किसी भी निजी सामान तक पहुंच नहीं है, जिससे रोजमर्रा के फैसले बेहद कठिन हो गए हैं। भाषा की दिक्कत और अकेलापन उनके दर्द को और गहरा कर रहे हैं। अस्पताल के कमरे में बैठा एक पिता सिर्फ एक ही बात दोहरा रहा है- “जाग जाओ बेटी… मैं यहीं हूं।”

कम्युनिटी ग्रुप ने बढ़ाया मदद का हाथ

उत्तरी कैलिफोर्निया में स्थित कम्युनिटी ग्रुप ‘ओवरसीज ऑर्गनाइजेशन फॉर बेटर बिहार’ (Overseas Organisation for Better Bihar) को जैसे ही आरती सिंह के हादसे के बारे में पता चला, उन्होंने तुरंत मदद का हाथ बढ़ा दिया। ग्रुप के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह किसी भी माता-पिता का सबसे बड़ा दुःस्वप्न है। एक बेटी अस्पताल में कोमा में है और उसका पिता पराए देश में बिल्कुल अकेला।

संगठन न सिर्फ अस्पताल में पिता के साथ जा रहा है, बल्कि रहने की जगह, खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए फंडरेजिंग अभियान भी चला रहा है। एक प्रवक्ता ने बताया कि जब वे पहली बार सुमिरन सिंह से मिले, तो उन्हें यह भी नहीं पता था कि रात को वे कहां सोएंगे। ऐसे में कम्युनिटी ने ठान लिया कि इस कठिन समय में उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।

वॉलंटियर्स लगातार अधिकारियों से मामले में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि हादसे से जुड़े हर सवाल का जवाब परिवार तक पहुंचे। कई लोग आरती के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं और पिता को भरोसा दिला रहे हैं कि पूरा समुदाय उनके साथ खड़ा है। वहीं कम्युनिटी लीडर अजय भुटोरिया भी कानूनी मदद जुटाने और जिला अटॉर्नी के दफ्तर से बात करने में लगे हैं।

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