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बांग्लादेश चुनाव से पहले पॉवरफुल हुई जमात: क्या देश इस्लामी राष्ट्र बनेगा ? अब भारत क्या करेगा ?

Bangladesh Election 2026: बांग्लादेश में 2026 के आम चुनाव से पहले जमात-ए-इस्लामी ने शरिया कानून लागू करने की मांग तेज़ कर दी है।

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Sep 10, 2025
मोहम्मद यूनुस (फोटो - आईएएनएस )

Bangladesh Election 2026: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ( Muhammad Yunus) के कहने के अनुसार फरवरी 2026 में आम चुनाव (Bangladesh Election 2026) होने वाले हैं, लेकिन चुनावी माहौल अभी से गर्म होता जा रहा है। देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगने के बाद अब जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami Bangladesh) और अन्य कट्टरपंथी संगठनों ने अपनी सक्रियता तेज़ कर दी है। जमात और उससे जुड़े संगठन अब खुलकर देश को इस्लामी राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि देश में शरिया आधारित कानून (Sharia Law in Bangladesh) लागू किया जाए। जमात के नेता गुलाम परवर (Ghulam Parvar) ने हाल ही में आदेश जारी किया कि सरकारी स्कूलों में अब नृत्य और संगीत शिक्षक नहीं, बल्कि धार्मिक शिक्षक नियुक्त किए जाएं। उनका कहना है कि धार्मिक शिक्षा से बच्चों में नैतिकता आएगी, जबकि संगीत और नृत्य को लोग निजी तौर पर सीख सकते हैं।

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अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले

शेख हसीना की सरकार के हटते ही देश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले तेज हो गए। रिपोर्टों के मुताबिक, पहले ही हफ्ते में 200 से ज्यादा हिंसक घटनाएं दर्ज हुईं। ये घटनाएं बताती हैं कि कट्टरपंथियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं।

बीएनपी और जमात की नज़दीकी (BNP Jamaat Alliance)

अब जबकि बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) को चुनाव में बढ़त मिलती दिख रही है, सवाल ये उठ रहा है कि अगर उन्हें बहुमत नहीं मिला तो क्या वे फिर से जमात के साथ गठबंधन करेंगी? अगर ऐसा होता है तो बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करने की कोशिशें और तेज़ हो सकती हैं।

भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर असर (India Bangladesh Relations)

भारत इस पूरे घटनाक्रम पर करीब से नज़र रखे हुए है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कट्टरपंथी ताकतें सत्ता में आईं, तो भारत और बांग्लादेश के रिश्ते जटिल हो सकते हैं। भारत एक स्थिर और लोकतांत्रिक सरकार का समर्थन करता है।

क्या वाकई चुनाव होंगे ?

अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने दावा किया है कि चुनाव फरवरी 2026 में कराए जाएंगे। लेकिन सवाल ये है कि जब तक सभी पार्टियों को बराबरी का मौका नहीं मिलेगा, तब तक चुनावों की वैधता पर भरोसा कैसे किया जाए?

देश के भविष्य पर बड़ा सवाल

बहरहाल बांग्लादेश में आज जो हालात हैं, वो सिर्फ एक चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और धार्मिक आज़ादी का सवाल है। यदि जमात और कट्टरपंथी संगठनों को ज़्यादा ताकत मिली, तो देश की सांप्रदायिक संरचना खतरे में पड़ सकती है।
(इनपुट: आईएएनएस.)

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