Israel-Iran War: इज़रायल और ईरान के बीच पिछले तीन दिन से युद्ध जारी है और फिलहाल इसके रुकने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। युद्ध की वजह से दोनों देशों को जान-माल का काफी नुकसान हो रहा है।
इज़रायल (Israel) और ईरान (Iran) के बीच पिछले तीन दिन से युद्ध जारी है और आज इस युद्ध का चौथा दिन है। जिस तरह के हालात दिख रहे हैं उससे इस बात के आसार नज़र नहीं आ रहे कि दोनों देशों के बीच चल रहा युद्ध जल्द रुक सकता है। शुक्रवार, 13 जून को तड़के सुबह इस युद्ध की शुरुआत हुई थी, जब इज़रायली एयरफोर्स ने ईरान पर हमला किया था। तब से अब तक दोनों देशों की तरफ से एक-दूसरे पर जमकर हमले किए जा रहे हैं। इज़रायल जहाँ ईरान में परमाणु ठिकानों, सैन्य ठिकानों, तेल के डिपो और अन्य खुफिया ठिकानों को निशाना बना रहा है, तो ईरान की तरफ से इज़रायल के नागरिक ठिकानों पर भी हमले किए जा रहे हैं।
◙ इस युद्ध की वजह से इज़रायल और ईरान, दोनों देशों में जान-माल का नुकसान हो रहा है। अब तक इस युद्ध की वजह से ईरान में 224 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें ईरान की सेना के मुख्य कमांडर, परमाणु वैज्ञानिक जैसे लोगों के साथ सामान्य लोग भी शामिल हैं। वहीं करीब 1481 लोग अब तक इज़रायली हमलों में घायल हुए हैं। घायलों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
◙ दूसरी ओर ईरान के हमलों में अब तक इज़रायल के करीब 15 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 390 लोग घायल हो गए हैं। इलाज के लिए घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इसी तरह युद्ध जारी रहा, तो आने वाले समय में मृतकों और घायलों का आंकड़ा और बढ़ सकता है।
◙ इतना ही नहीं, युद्ध की वजह से अब तक ईरान में कुछ परमाणु ठिकाने, सैन्य ठिकाने और तेल डिपो तबाह हो गए हैं। वहीं इज़रायल में कुछ इमारतें तबाह हुई हैं।
सूत्रों के अनुसार इज़रायल, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई (Ali Khamenei) को मारना चाहता था और इसके लिए उसने योजना भी बना ली थी। हालांकि अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इसका विरोध किया, जिसके बाद इज़रायल ने अपना प्लान कैंसिल कर दिया।
इसी बीच इज़रायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने बताया है कि ईरान, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को मारना चाहता है। ट्रंप के चुनावी अभियान के दौरान उन्हें दो बार जान से मारने की कोशिश की गई थी और नेतन्याहू के अनुसार दोनों प्रयासों के पीछे ईरान का हाथ था।