पाकिस्तान में आतंकियों की ट्रेनिंग के पीछे सेना और आईएसआई की अहम भूमिका है। देश में दहशत का खेल दोनों मिलकर खेलते हैं।
पाकिस्तान (Pakistan) को लंबे समय से आतंकवाद (Terrorism) का अड्डा माना जाता रहा है। पाकिस्तान ने आतंकवाद को पनपने में काफी मदद की है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन आतंकियों को ट्रेनिंग देने के पीछे किसका हाथ है? जवाब है पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) और खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI)। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई देश में चल रहे दहशत के खेल में पार्टनर्स हैं।
पाकिस्तान में लंबे समय से आतंकवाद को सेना और आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है। इस वजह से आतंकियों को फलने-फूलने में मदद मिलती है। इसी वजह से पाकिस्तान को आतंकियों के लिए हॉटस्पॉट माना जाता है।
पाकिस्तानी सेना और आईएसआई मुख्य रूप से सैन्य बजट, रक्षा बजट, विदेशी सहायता और चंदे की मदद से आतंकियों के लिए फंडिंग जमा करती है। इस फंडिंग का इस्तेमाल आतंकी ट्रेनिंग कैंप, हथियारों की खरीद, बम बनाने और आतंकी गतिविधियों में किया जाता है।
पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा आतंकी ठिकाने पीओके और खैबर पख्तूनख्वा में हैं। इसके अलावा बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब में भी कई आतंकी ठिकाने हैं। वैसे देश के हर इलाके में ही आतंकी ठिकाने हैं।
खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों के साथ ही तालिबान समर्थित आतंकी ठिकाने भी हैं। तालिबान समर्थित आतंकी पाकिस्तान के साथ नहीं, बल्कि खिलाफ हैं। ये आतंकी अक्सर ही पाकिस्तान में, खास तौर पर खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी हमले करते हैं। इन आतंकियों का निशाना मुख्य रूप से सेना और पुलिस रहती है। ऐसे में ये आतंकी, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के साथ देश की सरकार की भी चिंता बढ़ा रहे हैं।