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पौधों-जानवरों की विलुप्ति दर हुई धीमी, पिछले 100 सालों में संरक्षण प्रयासों का असर

पिछले 100 सालों में संरक्षण प्रयासों का असर देखने को मिल रहा है। इसी वजह से पौधों-जानवरों की विलुप्ति दर धीमी हो रही है।

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Oct 28, 2025
Plant-animal extinction rates slowed down (Representational Photo)

लंबे समय से यह माना जा रहा था कि धरती इस वक्त अपने छठे ‘मास एक्सटिंक्शन’ यानी सामूहिक विलुप्ति के दौर से गुज़र रही है। हालांकि अमेरिका की एरिज़ोना यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिकों ने इस धारणा को अपनी नई रिसर्च के ज़रिए चुनौती दी है। ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी’ में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार उन्होंने पिछले 500 सालों में करीब 20 लाख प्रजातियों का विश्लेषण किया और पाया कि पौधों, कीड़ों और भूमि पर रहने वाले जानवरों की विलुप्ति दर करीब एक सदी पहले सबसे ज़्यादा थी, लेकिन अब यह दर धीमी हुई है।

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पिछले 100 सालों में संरक्षण प्रयासों का असर

‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी’ में प्रकाशित रिसर्च से पता चला है कि पिछले 100 सालों में किस वजह से पौधों-जानवरों की विलुप्ति दर कम हुई है। जवाब है संरक्षण प्रयास, जिनके असर से पौधों-जानवरों की विलुप्ति दर में गिरावट देखने को मिली है।

खतरा कम हुआ लेकिन खत्म नहीं

संरक्षण प्रयासों का ही नतीजा है कि पौधों-जानवरों की विलुप्ति दर जो करीब एक सदी पहले ज़्यादा थी, अब कम हो गई है। हालांकि रिसर्च के अनुसार खतरा कम ज़रूर हुआ है, लेकिन खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में संरक्षण प्रयास जारी रखने की ज़रूरत है।

पुरानी प्रजातियों पर ना हो आज का आकलन

वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले उदाहरणों में अधिकांशविलुप्ति ऐसी प्रजातियों की थीं जो द्वीपों पर रहती थीं। इन द्वीपों पर इंसानों द्वारा लाए गए आक्रामक जीव जैसे चूहा, सूअर, बकरी ने पारिस्थितिकी को तहस-नहस किया। दूसरी ओर आज मुख्यभूमि पर सबसे बड़ी समस्या प्राकृतिक आवास का विनाश है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पुराने डेटा को भविष्य के अनुमान के लिए इस्तेमाल करना खतरनाक है।

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