China-Taiwan Conflict: चीन और ताइवान के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है और कम होने का नाम नहीं ले रही है। इसी के चलते अब ताइवान ने अपने डिफेंस बजट को बढ़ाने की योजना बनाई है।
एशिया के दो देशों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। हम बात कर रहे हैं चीन (China) और ताइवान (Taiwan) की, जिनके बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है और पिछले कुछ साल में यह विवाद ज़्यादा गंभीर हो गया है। मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि दोनों देशों के बीच किस वजह से तनाव है? दरअसल चीन और ताइवान 1949 में एक-दूसरे से अलग हो गए थे। तभी से ताइवान अपना स्वतंत्र अस्तित्व मानता है और खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। कई अन्य देश भी ताइवान को एक स्वतंत्र देश मानते हैं। वहीं चीन इसका विरोध करता है और ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। चीन कई मौकों पर साफ कर चुका है कि ताइवान का चीन में विलय होकर रहेगा। दोनों देशों के बीच तनाव की यही वजह है। चीन से बढ़ते तनाव के बीच ताइवान के राष्ट्रपति ने एक बड़ा फैसला लिया है।
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते (Lai Ching-te) ने एक बड़ा ऐलान किया है। पिछले कुछ समय से इस बात की आशंका जताई जा रही है कि चीन, ताइवान पर कब्ज़े के लिए हमला कर सकता है। ऐसे में चीन के खिलाफ ताइवान की रक्षा के लिए चिंग-ते ने देश के बजट को बढ़ाने की योजना बनाई है। उनकी प्रस्तावित योजना के अनुसार ताइवान के बजट को 40 बिलियन डॉलर्स तक बढ़ाया जाएगा, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये है।
चीन और ताइवान के विवाद में अमेरिका (United States Of America) हमेशा से ही ताइवान के साथ रहा है। अमेरिका ने इस मामले पर हमेशा ही ताइवान का समर्थन किया है और उसकी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए उसे हथियार भी बेचे हैं। अपने डिफेंस बजट में इजाफे के साथ ताइवान, अमेरिका से और ज़्यादा हथियार खरीदेगा। चीन को ताइवान के प्रति अमेरिका का समर्थन पसंद नहीं है और कई मौकों पर चीन ने इसका विरोध भी किया है। सोमवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच फोन पर बात हुई और इस दौरान जिनपिंग ने ताइवान मुद्दे पर उनका समर्थन मांगा। जिनपिंग से मिलने के लिए ट्रंप अगले साल अप्रैल में चीन जाएंगे।