TLP Gaza March Violence: लाहौर में टीएलपी की ओर से गाजा के समर्थन में किया गया मार्च हिंसक हो गया। मार्च रोकने के लिए इंटरनेट बंद, सड़कें सील हो गईं और जनजीवन ठप हो गया।
TLP Gaza March Violence: पाकिस्तान के लाहौर शहर में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन (Lahore Violence Pakistan)ने हिंसक रूप ले लिया है। कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के कार्यकर्ताओं ने 'गाजा मार्च' के नाम से इस्लामाबाद की ओर कूच किया (TLP Gaza March), लेकिन पुलिस ने रोक दिया। गुरुवार (9 अक्टूबर 2025) से शुरू हुई यह झड़प शुक्रवार (10 अक्टूबर) को चरम पर पहुंच गई। टीएलपी ने दावा किया (Pro-Palestine Protests) कि उसके 2 समर्थक मारे गए और 50 घायल हुए, जबकि पुलिस ने 1 मौत और 7 कार्यकर्ताओं के घायल होने की बात कही। पुलिसकर्मियों पर पथराव के बाद आंसू गैस और गोलियां चलीं।
टीएलपी ने इजरायल के गाजा हमलों के खिलाफ फिलिस्तीन के समर्थन में अमेरिकी दूतावास के बाहर रैली बुलाई। लाहौर से इस्लामाबाद (350 किमी दूर) मार्च करने की योजना थी। गुरुवार को पंजाब प्रांत में शुरू हुई हिंसा लाहौर के आजादी चौक तक फैल गई। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कीं, वाहनों को आग लगाई और पुलिस पर हमला किया। पुलिस ने बैरिकेड लगाए, कंटेनर रखे और लाठीचार्ज किया। इस दौरान डॉन न्यूज के अनुसार, 200 से ज्यादा टीएलपी कार्यकर्ता गिरफ्तार हो चुके हैं।
टीएलपी चीफ साद रिजवी ने शुक्रवार की नमाज के दौरान समर्थकों से कहा, "गिरफ्तारी, गोलियां या गोले कोई दिक्कत नहीं—शहादत हमारी किस्मत है।" उन्होंने लाहौर में 'फाइनल कॉल' का ऐलान किया। संगठन ने सरकार पर सड़कें पहले से अवरुद्ध करने का आरोप लगाया। आंतरिक मामलों के मंत्री तलाल चौधरी ने टीएलपी को 'अराजकता फैलाने वाला' बताया और कहा कि अनुमति के बिना मार्च करना अवैध है।
हिंसा से लाहौर ठहर गया। शुक्रवार से स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद हैं। रावलपिंडी और इस्लामाबाद में मोबाइल-इंटरनेट सस्पेंड कर दिए गए। सड़कें कंटेनरों से सील हैं, ट्रेंच खुदे हैं। स्थानीय लोग घर लौटने में परेशान हैं। यूएस दूतावास ने अमेरिकियों को 'भीड़ से दूर रहने' की सलाह दी है। पंजाब की सीएम मरियम नवाज शरीफ की सरकार ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है।
सोशल मीडिया पर टीएलपी की सख्त निंदा हो रही है। यूजर्स ने गाजा शांति समझौते (ट्रंप मध्यस्थता) के बावजूद सड़कों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। टीएलपी कार्यालयों पर पुलिस छापे के कारण तनाव बढ़ गया। संगठन ने कहा, "हर जुल्म नाकाम होगा।" यह प्रदर्शन गाजा समझौते के बाद पाक सरकार को निशाना बनाने की कोशिश लगता है।
बहरहाल यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता बताती है। टीएलपी का कट्टर रुख पहले भी सरकार को चुनौती दे चुका है। क्या यह मार्च रुक जाएगा, या राष्ट्रीय स्तर पर फैलेगा? सरकार की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है।