अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 'टैरिफ वॉर' उनपर ही भारी पड़ गया है। कैसे? आइए नज़र डालते हैं।
अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) अपने 'टैरिफ वॉर' (Tariff War) की धौंस दुनियाभर को दिखा रहे हैं। कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ ठोकने वाले ट्रंप को लगता है कि ऐसा करने से अमेरिका का कर्ज़ कम होगा और अर्थव्यवस्था में भी योगदान मिलेगा। हालांकि ऐसा हो नहीं रहा है क्योंकि टैरिफ की वजह से कई देश अब ट्रेड के लिए अमेरिका का रुख नहीं कर रहे हैं। ट्रंप के इस 'टैरिफ वॉर' से अब अमेरिकी किसान भी परेशान हो गए हैं।
ट्रंप के टैरिफ से अब अमेरिका के सोयाबीन और मक्का किसानों को काफी परेशानी हो रही है। उन्हें सोयाबीन और मक्का को दूसरे देशों में बेचने में परेशानी हो रही है। चीन (China), जो अमेरिकी सोयाबीन और मक्का का सबसे बड़ा ग्राहक रहा है, अब अमेरिका से सोयाबीन और मक्का नहीं खरीदने का मन बना चुका है।
चीन के अलावा कुछ अन्य देश भी अमेरिकी सोयाबीन और मक्का से दूरी बना रहे हैं। इससे अमेरिकी सोयाबीन और मक्का पर संकट के बादल छा गए हैं। किसानों का चिंता के कारण बुरा हाल है, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि उनकी मेहनत बर्बाद हो जाएगी और सोयाबीन और मक्का को विदेशी ग्राहक न मिलने से उनका घर चलाना मुश्किल हो जाएगा।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत (India), रूस (Russia), ब्राज़ील (Brazil) और चीन के पास ट्रंप को झुकाने का बेहतरीन मौका है। अमेरिका की यह शिकायत भी रही है कि भारत उससे मक्का नहीं खरीदता और भारत ने ऐसा करने में दिलचस्पी भी नहीं दिखाई है। चीन के अलावा रूस और ब्राज़ील भी अमेरिकी सोयाबीन और मक्का खरीदने में दिलचस्प नहीं हैं। ऐसे में अगर ट्रंप अपनी ज़िद पर अड़े रहे, तो इसकी कीमत अमेरिकी किसानों को चुकानी पड़ेगी। अगर ऐसा होता है, तो ट्रंप पर अपने ही देश में दबाव बढ़ जाएगा। अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगेगा। इससे ट्रंप अमेरिकी सीनेट और कांग्रेस में भी घिर जाएंगे और दबाव में उन्हें झुकना पड़ सकता है।