विदेश

अमेरिका के केंटकी में इमारतें बनीं आइस बैटरी, घटा बिजली बिल और प्रदूषण

अमेरिका में अब इमारतें ही आइस बैटरी बन गई हैं। क्या हैं इसके फायदे? आइए नज़र डालते हैं।

2 min read
Oct 10, 2025
US buildings (Representational Photo)

अमेरिका के केंटकी राज्य के नॉर्टन ऑडुबॉन अस्पताल में हर रात करीब 2.8 लाख लीटर पानी को बर्फ में बदला जाता है। दिन में यही बर्फ पिघलकर ठंडी हवा देती है, जिससे ऑपरेशन थिएटर और मरीजों के कमरे ठंडे रहते हैं। इस नई टेक्नोलॉजी को आइस थर्मल एनर्जी स्टोरेज या आइस बैटरी कहा जाता है। पहले यह अस्पताल पारंपरिक एसी से ठंडक पाता था, लेकिन अब 27 बड़े टैंक बर्फ बनाकर ठंडक का काम करते हैं।

ये भी पढ़ें

सौरमंडल में नया ग्रह मिलने के संकेत, अंतरिक्ष के रहस्यों पर नई रोशनी की उम्मीद

रात के समय काम करती है बैटरी

इस टेक्नोलॉजी से कार्बन उत्सर्जन कम होता है। आइस बैटरी रात के समय काम करती है, जब बिजली सस्ती होती है। रात में पानी को फ्रीज़ करके बर्फ बनाई जाती है। अगले दिन यह बर्फ धीरे-धीरे पिघलती है और पाइपों के ज़रिए पूरी इमरात में ठंडा पानी भेजा जाता है। यह पानी कमरे की गर्मी सोख लेता है और ठंडी हवा बाहर निकलती है।

पर्यावरण और भविष्य के लिए फायदेमंद

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह की ऊर्जा भंडारण टेक्नोलॉजी भविष्य की ज़रूरत हैं। इमारतों में ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर गर्मियों में। आइस बैटरी जैसी टेक्नोलॉजी, बिजली ग्रिड पर दबाव कम करती हैं और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार हैं। कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में यह टेक्नोलॉजी तेज़ी से अपनाई जा रही है क्योंकि वहाँ दिन में सौर ऊर्जा से बिजली मिलती है, लेकिन शाम को गैस और कोयले पर निर्भरता बढ़ जाती है।

घटा बिजली बिल और प्रदूषण

इस टेक्नोलॉजी से बिजली बिल घटाने में भी मदद मिली है। साथ ही प्रदूषण भी घटा है। इससे जनता को फायदा मिला है।

डेटा सेंटर्स और घरों में भी बढ़ रही मांग

आइस बैटरी सिर्फ अस्पतालों या स्कूलों तक सीमित नहीं है। नोस्ट्रोमो एनर्जी जैसी कंपनियाँ अब इसे डेटा सेंटर्स में लगाने की योजना बना रही हैं, जहाँ लगभग 30–40% बिजली सिर्फ कूलिंग में खर्च होती है। छोटे पैमाने पर यह टेक्नोलॉजी घरों के लिए भी उपलब्ध है। आइस एनर्जी जैसी कंपनियाँ घरेलू आइस बैटरी सिस्टम बना रही हैं, जिससे आम उपभोक्ता भी बिजली बचा सकें और पर्यावरण की रक्षा कर सकें।

ये भी पढ़ें

बर्फ से जागे 40,000 साल पुराने जीवाणु, खतरनाक बीमारियों के फैलने का जोखिम

Also Read
View All

अगली खबर