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Big News: खंडहर बन रही ‘पांडवों’ से जुड़ी ये विरासत, प्रशासन ने मूंदी आंखें, देखें तस्वीरें

mp news: मध्य प्रदेश में एक ऐसी गुफा जो महाभारत और पांडवों को जीता-जागता सबूत है, वो अब प्रशासन की उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रही है। आप भी जानिए कौनसी जगह है ये…. (heritage turning into ruins)

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shivalhara pandava caves heritage turning into ruins anuppur mp news

shivalhara pandava caves heritage turning into ruins anuppur mp news (फोटो सोर्स- फेसबुक)

mp news: अनूपपुर जिले के भालूमाड़ा से लगे ग्राम दारसागर में स्थित धार्मिक एवं पर्यटन स्थल शिवलहरा (shivalhara pandava caves) में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधाओं का विस्तार न होने से यह ऐतिहासिक स्थल उपेक्षा का शिकार होता जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि शिवलहरा की गुफाओं का निर्माण पहली शताब्दी में हुआ था। साथ ही यह मानता भी है कि पांडवों ने यहां अज्ञातवास का समय बिताया था जहां इन गुफाओं में पांच कक्ष नुमा आकृति बनी हुई है।

ऐतिहासिक होने के साथ ही यह लोगों के श्रद्धा का केंद्र भी है। इन गुफाओं में भगवान भोलेनाथ के साथ ही हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है जहां श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहां पर मेला भी आयोजित किया जाता है। वर्तमान में सावन महीने पर स्थानीय ग्रामीण यहां पूजा अर्चना करने के लिए भी नियमित रूप से पहुंचते हैं। (heritage turning into ruins)

सुविधाओं का विस्तार करने बनाई थी योजना

ग्राम पंचायत दारसागर के सरपंच पाल सिंह ने बताया कि शिवलहरा को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से योजना तैयार की गई थी जिसके अंतर्गत यहां पर चबूतरे, मंगल भवन, सांस्कृतिक मंच, सुविधाघर के साथ ही लोगों के स्नान के लिए घाट निर्माण किए जाने की योजना बनाते हुए पर्यटन विभाग को भेजा गया था। जिस पर वन भूमि क्षेत्र में स्थित होने के कारण अब तक यह कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है। वन विभाग से ग्राम पंचायत के साथ ही पर्यटन विभाग ने भी पत्राचार करते हुए अनापत्ति की मांग पूर्व में की गई थी।

ऐतिहासिक धरोहर है शिवलहरा की गुफाएं

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर आलोक श्रोत्रिय ने वर्ष 2014 ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से अनुमति लेते हुए शिवलहरा की गुफाओं का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। अपने शोध पत्र में उन्होंने इन गुफाओं के बारे में लिखा है कि यह पहली शताब्दी में निर्मित गुफाएं हैं जिनका स्वामीदत्त के राज्य काल में मूलदेव नाम के व्यक्ति ने इन गुफाओं का निर्माण कराया था।

गुफाओं में साधुओं के रहने तथा ध्यान करने के लिए भी कक्ष हैं। साथ ही हाथी पर सवार व्यक्तियों और छत्र-युक्त राज- कर्मचारियों का अंकन भी इन गुफाओं में मिलता है। यक्ष के समान विशाल आकृतियों भी इन गुफाओं में बनी हुई है। पुरातात्विक दृष्टि से ये गुफाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और राष्ट्रीय स्तर के स्मारक के रूप में इनका उल्लेख मिलता है।