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अद्वैत मठ के बड़े आश्रम में बगावत, दो महात्माओं को ट्रस्ट ने किया निष्काषित, जानें पूरा मामला…

anandpur ashram dispute: आनंदपुर आश्रम में ट्रांसफर से नाराज दो महात्माओं को ट्रस्ट ने सेवा से हटाया। कोर्ट जाने पर अनुशासनहीनता और मिलीभगत के आरोप में दोनों को ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया। (mp news)

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anandpur ashram dispute mahatma expelled from trust mp news

anandpur ashram dispute mahatma expelled from trust (फोटो सोर्स- श्रीआनंदपुर वेबसाइट)

mp news: अ‌द्वैत मठ के मुख्य केंद्र आनंदपुर आश्रम में अंदरुनी कलह का मामला सामने आया है। आश्रम ने दो महात्माओं को आश्रम से हटा दिया है और उनकी सेवा भी समाप्त कर दी है। जिन्हें सेवा स्थल तत्काल खाली करने का निर्देश दिया है। आश्रम ने प्रेसवार्ता कर यह जानकारी दी। साथ ही यह हटाए गए दोनों महात्मा न आकर प्रवेश करने का प्रयास न करें, इसके लिए पुलिस बल भी लगाया गया था। (anandpur ashram dispute)

ये है पूरा मामला

मामला ईसागढ़ के आनंदपुर आश्रम का है। ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक आ‌द्य अमर आनंद महात्मा व ट्रस्टी विनय महात्मा के साथ ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार व सुप्रीम कोर्ट के वकील राजेशकुमार बसंधी ने गुरुवार को प्रेसवार्ता की। जिसमें बताया कि आश्रम के शांतपुर फार्म पर सेवा देने वाले महात्मा विशुद्ध दयाल आनंद उर्फ रामकुमार एवं आनंद डिस्पेंसरी पर सेवा दे रहे महात्मा विशुद्ध जान आनंद उर्फ नवनीत को गंभीर कदाचार, आध्यात्मिक अवज्ञा और बाहरी विरोधी तत्वों से मिलीभगत के आरोप में दोषी पाया।

27 जून को दोनों महात्माओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा था, लेकिन उन्होंने आरोपों का खंडन करने की बजाय धमकी भरा पत्र अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति को सौंप दिया। इससे उन्हें ट्रस्ट से निष्कासित कर दिया है। (anandpur ashram dispute)

34 साल की सेवा के बाद हटाया- निष्कासित किए गए महात्मा

निष्कासित किए गए महात्मा विशुद्ध दयाल आनंद उर्फ रामकुमार ने बताया कि मैं 34 साल से व दूसरे महात्मा 35 साल से सेवा कर रहे हैं, सभी मिथ्या आरोप हैं, असलियत नहीं है। वहां पैसा भी है पावर भी है, हमारे पास सच्चाई है। अस्पताल में भर्ती रहते हुए हमें नोटिस दिया था और चार दिन की देरी से हमने नौ पेज का अपना जवाब दिया था।

उन्होंने कहा कि अपने लोगों को वेतन पर पदस्थ किया जा रहा है, हम जैसे निशुल्क सेवा देने वालों को हटाया जा रहा है। कारण तो बताएं कि तन, मन, धन भेंट करने के बाद दरबार से किस कारण अलग किया है। पूरे दरबार की व्यवस्था बदल दी है और इससे आश्रम में दहशत है। (anandpur ashram dispute)

पहले भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है मामला

वर्ष 2023 में ट्रस्ट के गुना आश्रम की दो महिलाओं ने ट्रस्ट पर बंधक बनाने का आरोप लगाया था और गुना के विजयकुमार सिक्का व मुंबई के आनंद खोसला ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका लगाई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जहां पर आरोप झूठा पाया गया था। वहीं इन हटाए गए इन दोनों महात्माओं की भी विजयकुमार सिक्का व आनंद खोसला से मिलीभगत का दोषी पाया गया था।

ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार ने बताया कि ट्रस्ट ने व्यवस्था की है कि एक डिपार्टमेंट में कोई चार-पांच साल से ज्यादा न रहे, ताकि वह बदलता रहे और नई-नई जगह सीखता रहे। क्योंकि एक डिपार्टमेंट में ज्यादा समय रहने से दिमाग में आ जाता है कि शायद यह हमारी प्रोपर्टी है। इसलिए दोनों महात्माओं का ट्रांसफर किया था, इससे वह ट्रस्ट के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए और ट्रस्ट अध्यक्ष यानी मुख्य गुरु को भी कोर्ट में पार्टी बना दिया था। हालांकि कोर्ट ने इसे ट्रस्ट का अंदरुनी मामला बताकर याचिका खारिज कर दी। इस मामले के बाद ट्रस्ट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति बनाई और दोनों को नोटिस दिया था। समिति ने पाया कि दोनों ने ट्रस्ट के सर्वोच्च आदेशों का उल्लंघन करते हुए ट्रस्ट की छवि को धूमिल किया है और 14 जुलाई को दोनों को निष्कासित करने का निर्णय लिया। (anandpur ashram dispute)