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विकास की खुली पोल : कागजों पर करोड़ों खर्च, फिर भी 1 फीट गहरी कीचड़ से गुजरकर ले जानी पड़ती है अर्थी

locationअशोकनगरPublished: Aug 26, 2021 11:13:55 pm

Submitted by:

Faiz Faiz Mubarak

विकास की हकीकत: ग्राम पंचायतों में विकास पर करोड़ों रुपए खर्च, लेकिन कीचड़ ने उजागर की जमीनी हकीकत। गांव में रास्ता नहीं, मुक्तिधाम तक जाने एक फिट गहरी कीचड़ में से लेकर गुजारनी पड़ती है अर्थी। वीडियो सामने आने के बाद खुली दावों की पोल।

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विकास की खुली पोल : कागजों पर करोड़ों खर्च, फिर भी 1 फीट गहरी कीचड़ से गुजरकर ले जानी पड़ती है अर्थी

अशोकनगर. शासन भले ही जिले की सभी 334 ग्राम पंचायतों में टीनशेड़ युक्त मुक्तिधाम और वहां तक पहुंचने का रास्ता बनाए जाना का दावा करता हो, साथ ही इन निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च भी हुए। लेकिन वायरल हुए वीडियो ने विकास के दावों की हकीकत उजागर कर दी, जहां ग्रामीणों को मुक्तिधाम तक अर्थी लेकर पहुंचने एक फिट गहरे कीचड़ में धंसकर निकलना पड़ता है।


मामला क्षेत्र के मोहरी सोनेरा गांव में गुरुवार का है। जहां बीमारी से 20 वर्षीय पूजा शर्मा पुत्र स्व.रामकृष्ण शर्मा की मौत हो गई। ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए अर्थी लेकर मुक्तिधाम पहुंचने के लिए निकले, तो रास्ता न होने से ग्रामीणों को करीब 300 मीटर तक एक फिट गहरी कीचड़ में धंसकर निकलना पड़ा। इससे कंडे और लकड़ी लेकर जा रहे कई लोग फिसलकर गिरते दिखे, तो वहीं कंधों पर अर्थी लेकर चल रहे लोग भी फिसलकर गिरते-गिरते बचे। बड़ी मुश्किल से कीचड़ को पार कर अर्थी मुक्तिधाम तक पहुंच सकी, जहां पर अंतिम संस्कार हुआ।

 

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ग्रामीणों ने जताई नाराजगी, कहा- ‘जिम्मेदार नहीं देते ध्यान’

पंचायत की इस मनमानी और जिम्मेदारों की अनदेखी पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। ग्रामीणों का कहना है कि, पंचायत ने पक्का रास्ता बनाना तो दूर, रास्ते पर मुरम या कोपरा भी नहीं डला है। इससे बारिश के मौसम में अगर किसी की मौत हो जाती है, तो ग्रामीणों को इसी तरह से मुक्तिधाम तक इसी तरह से अर्थी लेकर कीचड़ भरे रास्ते से होकर निकलना पड़ता है। लेकिन जहां पंचायत तो ध्यान दे ही नहीं रही है, वहीं अधिकारी भी लोगों की समस्या पर ध्यान नहीं देते हैं।

 

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बड़ा सवाल: फिर कहां खर्च कर दिए करोड़ों रुपए?

ये सिर्फ एक जगह की बात नहीं, बल्कि आए दिन जिले के ग्रामीण क्षेत्र से इस तरह के नजारे सामने आते हैं। भले ही जिले की सभी ग्राम पंचायतों में कागजों में मुक्तिधाम व रास्ते तैयार हो गए हों, लेकिन ज्यादातर जगहों पर मुक्तिधाम तक रास्ता नहीं है तो दर्जनों जगह टीनशेड़ तक नहीं है। वहीं, कई जगहों पर तो मुक्तिधाम तक नहीं है। इससे लोगों का सवाल है कि, फिर ये करोड़ों रुपए की राशि कहां खर्च की गई है। जनपद और जिला पंचायत के अधिकारी भी इन निर्माण की हकीकत देखने नहीं पहुंचते हैं।

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