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भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच Nepal में उठी मांग, China के खिलाफ न लड़ें गोरखा सैनिक

locationनई दिल्लीPublished: Jun 21, 2020 11:04:35 pm

Submitted by:

Anil Kumar

HIGHLIGHTS

नेपाल ( Nepal ) में भारत के खिलाफ और चीन ( China ) के समर्थन में आवाजें उठने लगी है। नेपाल में ये मांग की जा रही है कि नेपाली गोरखा नागरिक ( Nepali Gorkha citizen ) भारतीय सेना ( Indian Army ) में शामिल न हों।
नेपाल की प्रतिबंधित पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल ( Communist Party of Nepal ) ने मांग की है कि गोरखा नागरिक भारत की ओर से चीन के खिलाफ लडा़ई न लड़ें।

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India-China tension: Demand raised in Nepal, Gurkha soldiers should not fight against China

काठमांडू। पूर्वी लद्दाख सीमा ( East Ladakh Border ) के गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुए हिंसक घटना के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ता जा रहा है। साथ ही साथ सीमा विवाद ( Border Dispute ) को लेकर भारत और नेपाल ( Nepal ) में भी टकराव की स्थिति आ गई है।

इस बीच नेपाल में भारत के खिलाफ और चीन ( China ) के समर्थन में आवाजें उठने लगी है। दरअसल, पहले नेपाल की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ( Communist Party ) के साथ बैठक की और अब नेपाल में ये मांग उठने लगी है कि नेपाली गोरखा नागरिक ( Nepali Gorkha citizen ) भारतीय सेना ( Indian Army ) में शामिल न हों।

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बता दें कि नेपाल की प्रतिबंधित पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल ( Communist Party of Nepal ) ने मांग की है कि गोरखा नागरिक भारत की ओर से चीन के खिलाफ लडा़ई न लड़ें।

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गोरखा नागरिक भारतीय सेना का हिस्सा न बनें

आपको बता दें कि नेपाल की प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल ( Communist Party of Nepal ) के नेत्र बिक्रम चंद ने राजधानी काठमांडू ( Kathmandu ) में ये अपील की है कि गोरखा नागरिक भारतीय सेना का हिस्सा न बनें। इस बाबत पार्टी की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी किया गया।

इसमें कहा गया है, ‘गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद भारत और चीन में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने गोरखा रेजिमेंट ( Gurkha Regiment ) के नेपाली नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी छुट्टियां रद्द करके ड्यूटी पर वापस आएं। इसका मतलब है कि भारत हमारे नेपाली नागरिकों को चीन के खिलाफ सेना में उतारना चाहता है।’

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आगे कहा गया है कि भारत की ओर से चीन के खिलाफ गोरखा सैनिकों को सीमा पर तैनात किया जाना नेपाल की विदेश नीति के खिलाफ जाएगा। नेपाल एक स्वतंत्र देश है और एक देश की सेना में काम करने वाले युवा का इस्तेमाल दूसरे देश के खिलाफ नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि यह पार्टी यूं तो अंडरग्राउंड है लेकिन वामपंथियों के बीच इसे काफी समर्थन प्राप्त है।

आपको बता दें कि गोरखा सैनिकों से बेहतर पहाड़ों पर लड़ाई कोई और नहीं लड़ सकता है। यही कारण है कि का सेना में गोरखा सैनिकों एक अलग ही महत्व है। भारत में भी पहाड़ी इलाकों पर ज्यादातर गोरखा जवान ही तैनात रहते है। भारत ही नहीं ब्रिटेन में भी गोरखा सैनिक वहां की सेना में शामिल हैं। हाल ही में आईएमए ने तीन नेपाली नागरिकों को ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कमिशन दिया है।

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