12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

किम जोंग ने पैदल चलकर लांघी सीमा, 1953 के बाद साउथ कोरिया जाने वाले पहले नॉर्थ कोरियाई शासक

शुक्रवार को उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने पैदल ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन से मुलाकात की।

2 min read
Google source verification
kim jong and Moon Jae

सियोल। 1953 के कोरिया युद्ध के बाद पहली बार उत्तर कोरिया के किसी शासक ने दक्षिण कोरिया में कदम रखा है। उत्तर कोरिया के वर्तमान तानाशाह किम जोंग उन दक्षिण कोरिया पहुंचने वाले पहले उत्तर कोरियाई शासक बन गए हैं। शुक्रवार को उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने पैदल ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन से मुलाकात की। राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात दोनों देशों की सीमा पर बने डिमिलिट्राइज़ जोन पर हुई। इस मुलाकात के लिए सीमा के पास ही एक 'पीस हाउस' बनाया गया है।

चीन में मोदी: भारतीयों ने इस अंदाज में किया स्वागत, देखते रह गए पीएम

नए इतिहास की शुरुआत

इस ऐतिहासिक मौके का पूरी दुनिया में स्वागत हुआ। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने किम का स्वागत करते हुए अंतरराष्ट्रीय रेखा को पार करने से पहले कहा कि मैं आपसे मिलकर खुश हूं। किम जोंग उन ने भी दोनों देशों की सीमा पर रखे गए गेस्ट बुक में लिखा कि यह एक नए इतिहास की शुरुआत हुई है। कुछ देर अंतरराष्ट्रीय रेखा पर बिता दोनों नेता वार्ता के लिए पीस बिल्डिंग की तरफ बढ़ गए। दोनों नेताओं की मुलाकात के लिए हो रहे इस सम्मेलन को 'इंटर कोरियन समिट' का नाम दिया गया है। अब तक किसी न किसी अन्तर्राष्ट्रीय विवाद को जन्म देते रहे उत्तर कोरिया के किम जोंग उन से इस कदम की उम्मीद बिलकुल भी नहीं की जा रही थी। अपने अब तक के शासन काल में यह पहला मौका है जब किम ने इस तरह का कोई प्रयास किया है। इससे पहले तक उनकी पहचान एक सनकी तानाशाह की थी जो परमाणु हथियारों के परीक्षण और एटॉमिक मिसाइल टेस्ट के लिए दुनियाभर में जाना जाता था।

चीन: वुहान में मोदी-जिनपिंग गर्मजोशी से मिलाएंगे हाथ, 30 साल बाद रचेंगे नया इतिहास

पहले भी मिल चुके हैं दोनों नेता

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के बीच यह तीसरी मुलाकात थी। दोनों देशों के बीच जारी तनाव को देखते हुए यह वार्ता क्षेत्र में शांति की स्थापना और जारी परमाणु हथियारों की होड़ को रोकने के लिए लिए काफी महत्वपूर्ण समझी जा रही है। इससे पहले वर्ष 2000 और 2007 में भी ऐसा सम्मलेन हुआ था लेकिन दोनों ही बार कोई ठोस उपलब्धि हासिल नहीं की जा सकी थी। ये दोनों बैठकें उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में हुईं थीं। यह पहला मौका है जब किम जोंग उन बैठक के लिए सीमा पार कर दक्षिण कोरिया गए हैं।