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गुफा में रहकर ढिबरी में पढ़ने वाले शी जिनपिंग कैसे एक किसान से बने चीन के राष्ट्रपति

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2012 में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने शी जिनपिंग पेंग लियुआन से शादी की जो कि एक मशहूर गायिका थीं

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बीजिंग। एशिया के दो महाशक्तियों के शीर्ष नेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेन्नई के महाबलीपुरम में शुक्रवार को मुलाकात की। दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके राजनीतिक संघर्ष के बारे में प्राय: हम सबको पता है, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर हर किसी के मन में एक सवाल उठता है कि आखिर वे कैसे चीन के राष्ट्रपति बने और उनका राजनीतिक संघर्ष कैसा रहा है?

खेती-किसानी से जीवन की शुरुआत

पांच दशक पहले चीन में चीन में सांस्कृतिक क्रांति का दौर चला था। उस समय पंद्रह साल का एक लड़के ने खुद को उन मुश्किल भरी परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ते हुए अपने जिन्दगी की नई शुरुआत की थी। यही लड़का बाद में चीन का राष्ट्रपति बनता है और वह है शी जिनपिंग।

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शी ने अपनी जिन्दगी की शुरुआत खेती-किसानी से की। जिस जगह पर वे किसानी करते थे उस इलाके को चीन में गृह युद्ध के दौरान चीनी कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाता था।

आज जब चीन दुनिया के सामने एक सुपरपावर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे में शी जिनपिंग के गांव को वैसा ही रखा गया है, जसा कि एक जमाने में हुआ करता था। चीन के कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोग इस इलाके को एक तीर्थ स्थल के तौर पर देखते हैं।

आम लोगों से जुड़ाव

शी जिनपिंग दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं। लेकिन असल जिन्दगी में वे बहुत ही साधारण और जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। 1968 में चेयरमैन माओ ने फरमान जारी किया था कि लाखों युवा शहर छोड़कर गांवों में जाएं।

इसी फरमान ने शी को कुछ बनने के लिए प्रेरित किया। शी खुद कहते हैं कि 'मैं पीली मिट्टी का बेटा हूं। मैंने अपना दिल लियांगजिआहे में छोड़ दिया था। उसी जगह ने मुझे बनाया।'

जिनपिंग आगे यह भी कहते हैं कि 22 बरस के होते-होते उन्हें सबकुछ समझ आने लगा और वे आत्मविश्वास से भर गए। उस दौर में वे चेयरमैन माओ की मशहूर छोटी लाल किताब पढ़ा करते थे।

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चीन में जिनपिंग ने अपनी छवि एक जननेता के तौर पर बनाई है। मसलन अगर वे सैर पर भी निकलते हैं तो आम गरीब लोगों के घर पर चले जाते हैं और उनसे उन्ही की भाषा में बात करते हैं। कई बार लंच के लिए कतार में भी खड़े हो जाते हैं और अपना बिल भी खुद ही भरते हैं।

माओ के जुल्म ने शी को बनाया मजबूत

शी जिनपिंग आज किसी फैसले को लेने में जितने मजबूत दिखते हैं, उसके पीछे चेयरमैन माओ का जुल्म है। माओ के जुल्म ने शी को इतना तपाया कि वे एक मजबूत नेता बनकर उभरे।

60 के दशक में माओ ने काफी जुल्म ढाए और शी के पिता को पार्टी से बाहर निकाल दिया। बाद में उन्हें जेल भी भेज दिया। इस बीच शी की एक बहन की मौत भी हो गई।

माओ के रेड गार्ड्स का आतंक इस कदर बढ़ गया था कि शी को अपनी जान भी बचानी मुश्किल हो गई थी। वो अपनी जान बचाकर छुपते फिर रहे थे। रेड गार्ड्स के आतंक ने शी को काफी मजबूत बनाया।

गुफा में ढिबरी की रौशनी में पढ़ाई

शी जिनपिंग बताते हैं कि 60 के दशक में चीन में बिजली नहीं हुआ करती थी। गांव की सड़कें भी पक्की नहीं थी और किसानी के लिए मशीनें भी नहीं थी। उस दौर में उन्होंने खाद बनाना, बांध बनाना और सड़कों की मरम्मत करना सीखा था।

वे आगे बताते हैं कि जिस गुफा में रहा करते थे, उसमें ईटों का विस्तर था, जिसमें तीन अन्य लोगों के साथ वे सोया करते थे।

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शी के एक किसान साथी लू होउशेंग ने एक बार बताया था कि रात में जिनपिंग अपनी गुफा में ढिबरी की रौशनी में पढ़ा करते थे। उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था। इतना ही नहीं वे सिगरेट भी बहुत पीते थे।

शी का सख्त नेतृत्व

शी जिनपिंग 2012 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने और बतौर राष्ट्रपति शपथ ली। शी ने चीन में कई कानूनों में बदलाव किया और सख्त नियमों को लागू किया। सरकार की शाहखर्ची रोकने के लिए बड़े-बड़े भोज आयोजित करने पर रोक लगा दी।

शी का करियर बहुत ही शांत तरीके से आगे बढ़ रहा था, लेकिन जब उन्होंने पेंग लियुआन से शादी की जो कि एक मशहूर गायिका थीं, उसके बाद से शी की पहचान बढ़ने लगी। बहुत वर्षों तक तो शी को लोग पेंग के पति के तौर पर ही जानते थे। इससे पहले एक राजनयिक की बेटी से शी की पहली शादी नाकाम रही थी।

शी ने कई ऐसे फैसले लिए जो काफी चर्चा में रहा है। उन्होंने पार्टी के हर नेता के कार्यालय के साइज से लेकर नेताओं के लंच या डिनर में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों की संख्या को लेकर भी नियम बना दिए।

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