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Jyotirlinga According to Rashi : अपनी राशि अनुसार करें ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जानिए कहां मिलेगी भोलेनाथ की विशेष कृपा?

Jyotirlinga to Visit According to Your Rashi : अपनी चंद्र राशि के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों से अपना गहरा संबंध जानें। सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, आपकी राशि (Rashi) के लिए कौन-सा शिव मंदिर सबसे शुभ है, जो आपको शांति और शक्ति देगा।

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भारत

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Manoj Vashisth

Nov 12, 2025

Jyotirlinga to Visit According to Your Rashi

Jyotirlinga to Visit According to Your Rashi (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Jyotirlinga to Visit According to Your Rashi : भारत में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं, जो शिव के अनंत प्रकाश रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिव पुराण में इन मंदिरों के दर्शन का महत्व बड़े विस्तार से बताया गया है। हर मंदिर की अपनी एक खास कहानी है, अपनी अलग पौराणिकता और एक अनोखा आध्यात्मिक आकर्षण। सबकी अपनी-अपनी ऊर्जा है। दिलचस्प बात ये है कि हर राशि का एक खास ज्योतिर्लिंग से गहरा संबंध माना जाता है। लोग अक्सर सोचते हैं कि कौन-सा मंदिर उनके लिए सबसे ज्यादा शुभ है, खासकर अपनी चंद्र राशि के हिसाब से।

सबसे पहले इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम देख लेते हैं | Names of 12 Jyotirlingas

सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामनाथस्वामी (तमिलनाडु) और घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)।

अब जानते हैं, किस राशि के लिए कौन-सा मंदिर खास है—

रामनाथस्वामी, रामेश्वरम, तमिलनाडु (मेष)

मेष राशि वाले तेज-तर्रार और जोशीले होते हैं, कभी-कभी थोड़ा असंतुलित भी। रामेश्वरम के शांत समंदर और मंदिर के लंबे गलियारे इनके भीतर की बेचैनी को ठंडा कर देते हैं। कहते हैं, यहां भगवान शिव ने भगवान राम को उनके कर्मों के बोझ से मुक्ति दिलाई थी। मेष राशि वालों को यहां आकर धैर्य और शांति मिलती है।

सोमनाथ, गुजरात (वृषभ)

वृषभ राशि के लोग जम़ीन से जुड़े रहते हैं, स्थिरता पसंद करते हैं। सोमनाथ मंदिर, जिसने न जाने कितने हमले झेले लेकिन फिर भी हर बार खड़ा रहा, वृषभ वालों के धैर्य और मजबूती का असली उदाहरण है। यहां की पूजा वृषभ राशि वालों को अंदर से और मजबूत करती है।

नागेश्वर, गुजरात (मिथुन)

मिथुन राशि के लोग जिज्ञासु हैं, मन उनका कभी यहां, कभी वहां। नागेश्वर मंदिर में शिव ने दारूक राक्षस का वध किया था। यहां का शांत माहौल मिथुन वालों के लिए किसी ध्यान की तरह है — मन को साफ और स्थिर करता है। यहां आकर वो खुद से गहरे जुड़ पाते हैं।

ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश (कर्क)

कर्क राशि के लोग संवेदनशील होते हैं, भावनाओं से भरे। ओंकारेश्वर, जो "ॐ" अक्षर की तरह एक टापू पर बसा है, इनमें गजब की शांति घोल देता है। यहां का माहौल ऐसी मातृत्व जैसी सुरक्षा देता है, जिससे कर्क राशि वालों का उलझा मन बिल्कुल शांत हो जाता है।

वैद्यनाथ, झारखंड (सिंह)

सिंह राशि वाले खुद में राजा होते हैं। वैद्यनाथ मंदिर में शिव ने लोगों को रोगों से मुक्ति दी थी। ये जगह सिंह राशि वालों के भीतर की शक्ति और करुणा को संतुलित करती है। यहां आकर उनका आत्मविश्वास और भी गहरा हो जाता है, साथ ही वो दूसरों के लिए भी कुछ करने की प्रेरणा पाते हैं।

मल्लिकार्जुन, आंध्र प्रदेश (कन्या)

कन्या राशि वाले हर चीज में परफेक्शन चाहते हैं। मल्लिकार्जुन मंदिर, जो खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा है, यहां आकर कन्या राशि वाले अपनी एनालिटिकल सोच को भक्ति में बदल सकते हैं। शिव-पार्वती की उपस्थिति इन्हें सिखाती है कि करुणा और कर्तव्य दोनों साथ चल सकते हैं।

महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश (तुला)

तुला राशि के लोग संतुलन चाहते हैं, हर चीज में न्याय देखते हैं। महाकालेश्वर, जो एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, इन्हें जीवन में संतुलन की असली समझ देता है। यहां की पूजा अनिर्णय दूर करती है और मन को स्थायी शांति मिलती है।

घृष्णेश्वर, महाराष्ट्र (वृश्चिक)

वृश्चिक राशि वाले गहरे, कभी-कभी तूफानी, लेकिन बदलाव के मास्टर। घृष्णेश्वर मंदिर इनके लिए है, जहां शिव ने जीवन को फिर से रचने का संदेश दिया था। यहां की यात्रा इनके भीतर की तीव्रता को आध्यात्मिक ऊर्जा में बदल देती है।

काशी विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश (धनु)

धनु राशि के लोग साहसी और खोजी होते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर तो ज्ञान का समुद्र है — यहां आकर धनु राशि वाले अपने भीतर के दार्शनिक को पहचान लेते हैं। ये जगह सिखाती है, असली मुक्ति ज्ञान में है।

भीमाशंकर, महाराष्ट्र (मकर)

मकर राशि वाले मेहनती हैं, ऊंचा मुकाम पाना चाहते हैं। भीमाशंकर में शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया था, ब्रह्मांड में संतुलन लौटाया था। यहां की पूजा मकर राशि वालों को सिखाती है कि जब मेहनत भक्ति में बदल जाती है, तभी असली सफलता मिलती है।