
cbse board result 2023 astro tips to stop depression and suicide cases: डिप्रेशन, एक ऐसी बीमारी, जिसका नाम सुनने वाले लोग इसे एक आम बीमारी समझते हैं। इसका कारण है कि वे लोग इस बीमारी को लेकर अवेयर ही नहीं हैं। इसके घातक परिणाम से वे अब तक अनजान हैं। जबकि डिप्रेशन के शुरुआती दिन हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय पर उचित उपाय या इलाज न कर पाने के कारण यह व्यक्ति पर हावी होने लगते हैं, वह खुद से कंट्रोल खोने लगता है और एक दिन उसे खुद के जीवन को खत्म करना यानी आत्महत्या करना ही सबसे बेहतर लगता है। यानी डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो हावी हो तो व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए उकसाती है, मजबूर कर देती है। किसी को अपने घर-परिवार के कारण डिप्रेश होता है, तो किसी को नौकरी, कॅरियर, बिजनेस को लेकर। आजकल स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर ग्रेजुएशन करने वाले युवाओं में भी डिप्रेशन के बाद आत्महत्या करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
हाल ही में दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम घोषित हुए हैं, माता-पिता की उम्मीदों के मुताबिक नंबर न लाने या फेल होने के कारण आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसका बड़ा कारण कुंडली में मौजूद कुछ ग्रहों की अशुभ स्थिति को माना गया है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में भोपाल के ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा बता रहे हैं कौन से ग्रह पैदा करते हैं डिप्रेशन, कब बनते हैं आत्महत्या के योग और समय रहते कुछ ज्योतिष उपाय कर लिए जाएं, तो घर के इन चिरागों को असमय बुझने से रोका जा सकता है...
ज्योतिष शास्त्र में डिप्रेशन के कारण
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हमारी जन्म कुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति देखकर हमारे जीवन की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी परेशानियों का पता लगाया जा सकता है। वहीं इन परेशानियों का ज्योतिष में समाधान भी बताया गया है। ऐसे में छोटी-छोटी परेशानियों को तो हम नजर अंदाज कर दें, लेकिन बड़ी परेशानियों के लिए उपाय एक बार जरूर करने चाहिएं। डिप्रेशन भी एक गंभीर बीमारी है और कुंडली इसके बारे में भी हमें पहले से ही अवगत करा देती है। दरअल कुंडली का प्रथम स्थान मस्तिष्क को दर्शाता है। चंद्रमा को मस्तिष्क और भावनाओं का स्वामी कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा प्रथम भाव में नीचे स्थान पर हो या चंद्रमा के साथ पाप ग्रह बैठे हों। तब व्यक्ति के जीवन में डिप्रेशन के योग बनते हैं।
आत्महत्या के ज्योतिष कारण
ज्योतिष शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है कि हमारी कुंडली में ग्रह अपना स्थान बदलते रहते हैं। इसके कारण हमारी कुंडली में समय-समय पर कई तरह के योग बन जाते हैं। कभी-कभी ये योग मानसिक परेशानियां पैदा करने वाले और उन्हें बढ़ाने वाले साबित होते हैं। स्थिति यहां तक पहुंचा देते हैं कि व्यक्ति हताशा में डूब जाता है और आत्महत्या कर लेता है। यानी कुछ ग्रह हमारी कुंडली में आते ही हमें आत्महत्या के लिए उकसाते हैं। तो कुछ ग्रह ऐसे आते हैं कि वे आत्महत्या का रास्ता चुनते समय विवेक को भी जाग्रत कर देते हैं और व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोचता तो है, लेकिन अचानक उसका विचार बदल जाता है और वह आत्महत्या नहीं करता।
ऐसे समझें कुंडली में ग्रहों की स्थिति जो बनाती है आत्महत्या के योग
1. कुंडली में चंद्रमा की स्थिति
- यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है।
- दरअसल चन्द्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है।
- अगर चंद्रमा पर किसी पापी ग्रह की नजर पड़ रही हो, तो व्यक्ति मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है। ऐसे लोग आत्महत्या करने जैसे घातक कदम उठाते हैं।
2. कुंडली में बुध की स्थिति
बुध ग्रह बुद्धि का ग्रह माना जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है, तब व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति पहले डिपे्रशन में चला जाता है और आत्महत्या का कदम उठा लेता है।
3. कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति
ज्योतिष शास्त्र में शनि को दुख का कारक ग्रह माना गया है। यदि कुंडली में शनि ग्रह अच्छी स्थिति में नहीं होता है, तो व्यक्ति मुश्किल परिस्थितियों से हार जाता है और डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर लेता है।
आत्महत्या के कारक योग
- कुंडली में राहु या मंगल एक साथ अष्टम भाव में स्थित होते हैं।
- पापी ग्रहों का प्रभाव राहु या मंगल पर हो, तो ऐसा योग आत्महत्या के लिए उकसाता है।
- बुध ग्रह अष्टम भाव में पापी ग्रह के साथ होता है तो, व्यक्ति आत्महत्या का कदम उठाता है।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न और सप्तम भाव नीच स्थान पर उपस्थित हो, तो भी आत्महत्या का योग बनता है।
- कुंडली के अष्टम भाव में पाप कर्तरी योग हो, तो व्यक्ति आत्महत्या करता है।
- कुंडली में जब शनि ग्रह सही स्थिति में नहीं होता है। तब व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो सकता है।
ऐसे लोग नहीं करते आत्महत्या
सूर्य हो शुभ स्थान पर
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की मजबूत स्थिति उसे मन से मजबूत बनाए रखती है। ऐसे में वे सकारात्मक बने रहते हैं और तनाव या अवसाद में नहीं जाते। इसलिए आत्महत्या के कदम भी नहीं उठाते। बल्कि अपनी पॉजीटिव एनर्जी से दूसरों को भी एनर्जेटिक बनाए रखते हैं। सूर्य को हमेशा मजबूत बनाए रखने के लिए रोज सुबह उगते हुए लाल सूरज को देखने से लाभ मिलता है।
आत्महत्या से बचने के ज्योतिष उपाय
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली की समस्याओं के बारे में बताया गया है, तो उसके उपाय भी बताए गए हैं। ऐसे में यदि हम बचपन से ही बच्चों में कुछ आदतें बनाए तो उनकी कुंडली में मौजूद अशुभ परिणाम देने वाले ग्रह मजबूत स्थिति में आते हैं यानी शुभ परिणाम देने लगते हैं, यहां जानें क्या हैं वे आदतें...
- प्रतिदिन जितना ज्यादा हो सके पानी पीना चाहिए।
- हर दिन एक्सरसाइज या योग करने की आदत बनाएं।
- बिगड़ी हुई दिनचर्या को आदत न बनने दें, यही स्थिति मानसिक तनाव का कारण बनती है।
- रोजाना शिव जी की पूजा करें। ऐसा करने से कुंडली में बनने वाले अशुभ योगों का प्रभाव खत्म हो जाता है।
- श्री कृष्ण की पूजा करें। इससे भी कुंडली के बुरे या अशुभ योग और दोष खत्म हो जाते हैं।
- कभी भी कोई भी रत्न धारण न करें। जरूरी हो तो ज्योतिष की सलाह पर ही उसे पहने।
चंद्रमा कमजोर है तो सबसे पहले करें ये उपाय
दरअसल चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और यह कमजोर हो तो मन भी कमजोर होता है। हताशा-निराशा बढ़ती है। ऐसे में यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर बना हुआ है, तो मन की शांति के लिए चंद्रमा के ये उपाय जरूर करें।
- चांदी के गिलास में पानी पिएं।
- चंद्रमा यदि अपने घर में नहीं है, तब चांदी की अंगूठी पहनना चाहिए।
- शिव की पूजा-अर्चना के साथ ही सोमवार का व्रत करना चाहिए।
- कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है तब, शिव जी की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है।
- क्योंकि भगवान शिव को ही चंद्रमा का स्वामी कहा जाता है।
- चंद्रमा कमजोर हो, तो शिव जी को दूध अर्पित करें।
- ज्योतिष के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है, तो उसे पूरे-विधि विधान से शिव जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
- शिव मंत्र का जाप और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें।
Updated on:
13 May 2023 05:24 pm
Published on:
13 May 2023 05:20 pm
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