15 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा। मीन राशि को छोड़कर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे। मेष राशि के अधिपति मंगल हैं। सूर्य मेष राशि में उच्च के माने जाते हैं और मंगल सूर्य के मित्र हैं, इस दृष्टि से सूर्य का प्रभाव प्रबल होगा। मौसम में तपिश बढ़ेगी, वहीं धर्म, अध्यात्म, संस्कृति को बल मिलेगा। साथ ही कृषि से जुड़े मामलों में परिवर्तन और संशोधन दिखाई देगा।
ज्योतिषाचार्य अमर डब्बावाला के अनुसार देव गुरु बृहस्पति 1 मई को मेष राशि को छोड़कर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। इसके परिवर्तन से शैक्षणिक गतिविधि में परिवर्तन और शिक्षा के मूल सूत्रों में भी तकनीकी परिवर्तन दिखाई देगा, जिसके चलते भविष्य में अलग प्रकार की शिक्षा नीति लागू होगी। साथ ही आधारभूत सिद्धांतों से जो तर्क संगत या व्यावहारिक नहीं है, उनसे भी मुक्ति मिलेगी।
ग्रहों के आपसी दृष्टि संबंध कहीं-कहीं शासन प्रशासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिह्न भी खड़ा करेंगे। जनमानस को दृष्टिगत रखते हुए शासन-प्रशासन में आंतरिक परिवर्तन और नियम में शिथिलता की आवश्यकता अनुभव होगी। कुछ चुनौतियां सामाजिक राष्ट्रीय स्तर पर प्रशासन के सामने आएगी, जिन्हें हल करना एक चुनौती भरा कार्य हो सकता है। शासन-प्रशासन को व्यवहारिक नीति पर ध्यान देने की जरूरत रहेगी।
एक माह में दो ग्रह उच्च राशि में आ रहे हैं, विशेष रूप से शुक्र का मीन में और सूर्य का मेष में होना लोगों को विशेष लाभ देगा। यह बाजार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी नीति सिद्धांत में सफलता दिलाएगा। पड़ोसी देशों से कूटनीतिक सफलता मिलेगी अर्थात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक विजय की प्राप्ति का भी योग बन रहा है। यही नहीं भारतीय बाजारों में भी कहीं-कहीं कीमतों में उतार-चढ़ाव से आम जनमानस को कुछ स्थितियों में राहत मिलेगी।
ग्रहों के राशि परिवर्तन और दृष्टि संबंध का प्रभाव भी अलग-अलग प्रकार से स्थितियों को दिखाता है। राजनीतिक दृष्टिकोण से अप्रैल में शुक्र राहु की युति बनेगी। एक माह में यह युति कई दिग्गज नेताओं के स्थान परिवर्तन का संकेत कर रही है। यही नहीं राजनीति में क्षेत्रीय और केंद्रीय भूमिका निभाने वाले कद्दावर नेताओं के लिए भी परिवर्तन का समय रहेगा, इस दृष्टि से यह समय एक विशेष नीति के तहत अपनी योग्यता को साबित करने वाला माना जाएगा।