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Mahashivratri 2025 : क्या है नमक चमक महारुद्राभिषेक और इसका महत्व?

What is Namak-Chamak Maharudrabhishek : ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश चंद्र शास्त्री के अनुसार, महाशिवरात्रि की पूजा चार प्रहरों में की जाती है, जिसमें प्रत्येक प्रहर का अपना महत्व होता है।

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भारत

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Manoj Vashisth

Feb 11, 2025

Mahashivratri 2025

Mahashivratri 2025

Mahashivratri 2025 : भगवान शिव को रुद्र के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है दुखों का नाश करने वाला। वेदों और धार्मिक ग्रंथों में रुद्र शब्द की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। विशेष रूप से यजुर्वेद में रुद्राष्टाध्यायी को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। शिव भक्तों की सभी पीड़ाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

महाशिवरात्रि के दिन (Mahashivratri 2025) और रात में महादेव की विशेष पूजा की जाती है। इसके चार प्रहर की पूजा का भी विशेष विधान है। ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश चंद्र शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन नमक-चमक से पूजा का भी विधान है। यह अभिषेक बेहद खास होता है इस महारुद्राभिषेक में हर चीज की मात्रा 5 गुना अधिक होती है। सम्पूर्ण रात्रि के चार प्रहरों में शिव पूजा की जाती है।

इसमें प्रथम प्रहर की पूजा सूर्यास्त Sunset के बाद होती है। इसके बाद द्वितीय प्रहर की पूजा होती है। आधी रात के बाद तृतीय प्रहर की पूजा की जाती है वहीं इसके बाद चतुर्थ प्रहर की पूजा होती है। चतुर्थ प्रहर की पूजा के बाद सूर्योदय Sunrise के बाद ऊषाकाल में भगवान शिव की आरती की जाती है। और क्या कुछ खास विधान बताए गए हैं

क्या है नमक चमक महारुद्राभिषेक और इसका महत्व? | What is Namak-Chamak Maharudrabhishek

नमक चमक महारुद्राभिषेक एक अत्यंत प्रभावशाली और फलदायी अनुष्ठान है, जिसमें अन्य अभिषेकों की तुलना में सभी पूजन सामग्रियों की मात्रा पांच गुना अधिक रखी जाती है। इस कारण से, यह अभिषेक अन्य सभी से अधिक शक्तिशाली माना जाता है और इसका प्रभाव सर्वोच्च फलदायी होता है।

यह अभिषेक बेहद खास होता है। नमक चमक महारुद्राभिषेक (Namak-Chamak Maharudrabhishek) में हर चीज की मात्रा 5 गुना अधिक होती है। इस अभिषेक का महत्व सभी अभिषेकम से कई गुना अधिक होता है। इस कारण इसका फल भी सर्व फल के रूप में मिलता है।

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रुद्राष्टाध्यायी का महत्व

रुद्राष्टाध्यायी में कुल दस अध्याय होते हैं, लेकिन इनमें से पहले आठ अध्यायों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। इसका कारण यह है कि इन्हीं आठ अध्यायों में भगवान शिव की महिमा और उनकी कृपा शक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।

पांचवा अध्याय: रुद्राष्टाध्यायी के सभी अध्यायों में से सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति समय के अभाव में संपूर्ण पाठ नहीं कर सकता, तो वह केवल पांचवें अध्याय का पाठ करके भी उत्तम फल प्राप्त कर सकता है।

नमक और चमक का महत्व: Importance of Namak-Chamak Rudrabhishek

नमक (पंचम अध्याय): भगवान शिव की शक्ति और कृपा का प्रमुख स्रोत है।

चमक (अष्टम अध्याय): शिव के तेज, प्रभाव और दिव्यता को प्रकट करता है।

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा विधि

शास्त्रों में नमक चमक का उल्लेख

वायु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति रुद्राष्टाध्यायी के नमक (पंचम अध्याय) और चमक (अष्टम अध्याय) के साथ पुरुष सूक्त का प्रतिदिन तीन बार पाठ करता है, उसे ब्रह्म लोक में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

श्लोक:

"नमकं चमकं चैव पौरुषं सूक्तमेव च।
नित्यं त्रयं प्रयुञ्जानो ब्रह्मलोके महीयते।।"

अर्थात, जो भक्त नमक, चमक और पुरुष सूक्त का नित्य पाठ करता है, वह ब्रह्मलोक में सम्मान प्राप्त करता है।

महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) हिंदू धर्म में सबसे प्रमुख व्रतों में से एक मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पावन स्मृति में शिवभक्त उपवास रखते हैं और रात्रि जागरण कर भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं।