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Manifest Kaise Kare : शास्त्रानुसार ऐसे करें मेनिफेस्ट, तुरंत पूरी होगी हर विश!

Manifestation Tips: हिंदू शास्त्रों में मेनिफेस्टेशन के सही तरीके बताए गए हैं। यदि इन्हें कोई सही ढंग से फॉलो कर ले, तो उसकी मनचाही विश पूरी हो सकती है। इस लेख में समझिए, मेनिफेस्ट करने का सही तरीका क्या है।

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Right Way Of Manifestation

Power of Subconscious Mind: शास्त्रों से समझें मेनिफेस्ट करने के सही तरीके। (Image: Gemini Ai)

Manifest Kaise Kare : सनातन धर्म में मानव जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। इसी कड़ी में हम, मेनिफेस्टेशन क्या है और मेनिफेस्ट कैसे करना चाहिए, यह भी शास्त्रों से समझ सकते हैं। इस लेख में हम आपको मेनिफेस्ट करने के सही तरीके बताने वाले हैं। यदि उन्हें फॉलो कर लिया, तो आपकी मनचाही इच्छा पूरी होना तय समझ सकते हैं। बस आपको…संकल्प, श्रद्धा, भावना, कर्म, मंत्र, कृतज्ञता और त्याग का के मनोविज्ञान को समझकर जीवन में उतारना होगा। आधुनिक युग में इसे आकर्षण का नियम (Law of Attraction), कल्पना की शक्ति (Power Of Visualization) और अवचेतन मन की ताकत (Power of Subconscious Mind) जैसे नामों से भी जाना जाता है।

मेनिफेस्ट कैसे करें? | Manifest kaise kare

शिव संकल्प उपनिषद के अनुसार

मन और संकल्प ही दुनिया का आधार होते हैं। शिव संकल्प उपनिषद में कहा गया है, “तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु” यानी शुभ संकल्प वाला मन ही सिद्धि देता है। माना जाता है कि, जब आप अच्छे विचारों को दिमाग में बार-बार दोहराते हैं, तो अवचेतन मन (Subconscious Mind) उसे मान लेता है। फिर वह विचार सच में घटित हो जाता है।

भगवद्गीता के अनुसार

इच्छाएं संकल्प से उत्पन्न होती हैं और संकल्प के बल से पूर्ण की जाती हैं।
“संकल्पप्रभवान्कामान्”
गीता अध्याय 6, श्लोक 24

मनुष्य जैसी श्रद्धा रखता है, वैसा ही बन जाता है।
“श्रद्धामयोऽयं पुरुषो”
गीता अध्याय 17, श्लोक 3

योगवासिष्ठ के अनुसार,

भाव की शक्ति ही निर्णायक होती है। यानी…जैसा भाव, वैसा ही परिणाम।
“यद्भावं तद्भवति”

पतंजलि योगसूत्र

में संयम (धारणा-ध्यान-समाधि) से सिद्धियों की प्राप्ति बताई गई है, जो चेतना और इच्छा-शक्ति के मेनिफेस्ट होने का प्रमाण है। वहीं यजुर्वेद के चमकम् में "अग्नि मे, धन मे, विजय मे” जैसे घोष आत्म-घोषणा (affirmation) के वैदिक स्वरूप को दर्शाते हैं।

मंत्र-जप को भी शास्त्रों में अत्यंत प्रभावी माना गया है। यानी कि शब्द ही ब्रह्म (भगवान) है।
“वाक् वै ब्रह्म”
ऋग्वेद के पहले मंडल के 164वें सूक्त का 39वां मंत्र।

ईशावास्य उपनिषद

सिखाता है कि, त्याग और समर्पण से ही स्थायी फल मिलता है।
“तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा"

शास्त्रानुसार मेनिफेस्ट करना तब ही सफल होता है, जबकि इच्छा धर्मसम्मत हो, संकल्प स्पष्ट हो, श्रद्धा अडिग हो, कर्म निरंतर हो और फल ईश्वर को समर्पित हो। गीता के अध्याय 2, श्लोक 47 में भी स्पष्ट कहा गया है कि, “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”…यानी बिना कर्म किए कुछ भी प्राप्त नहीं होता। साथ ही फल की इच्छा न हो। रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भी सरलता से इसे समझाया है। इसके उत्तरकांड के अनुसार,
"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।
जो जस करहि सो तस फल चाखा।।
सकल पदारथ है जग मांही।
कर्महीन नर पावत नाहीं।।"
इसका अर्थ यह हुआ कि, संसार कर्म के नियम पर टिका है। मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे मिलता है। जो कर्महीन होता है, उसे इस संसार की कोई चीज नहीं मिलती। कुल मिलाकर अच्छी सोच और सकारात्मक विचार के साथ कर्म करना भी अति महत्तवपूर्ण है। इसमें नाम जप बहुत मदद करता है। अपने इष्ट या जिस भगवान का नाम आपको प्रिय हो, उसका जप अवश्य करें।
कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।