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सावन का दूसरा मंगलवार- जानें मंगलागौरी व्रत की पूजा विधि और कथा, और इस बार क्यों है खास

- सावन के इस दूसरे मंगलागौरी व्रत में क्या करें?

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Deepesh Tiwari

Jul 10, 2023

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Mangala Gauri Vrat 2023: सावन 2023 का दूसरा मंगला-गौरी व्रत 11 जुलाई को पड़ रहा है। यह व्रत सावन माह के सोमवार के दूसरे दिन यानि मंगलवार को होता है। माता मंगला गौरी देवी मां पार्वती का ही एक रूप हैं। आपको मालूम ही होगा कि माता पार्वती का ही एक नाम गौरी भी है, जिनका का नवरात्रि में आठवां दिन होता है। दरअसल माता गौरी के ही इसी मंगल स्वरूप को मंगला गौरी क नाम से जाना जाता है।

मंगला गौरी का व्रत सावन के हर मंगलवार को विधि विधान के साथ किया जाता है, जिसका जिक्र भविष्य पुराण में तक देखने को मिलता है। मान्यता के अनुसार माता पार्वती का ये व्रत काफी विशेष और खास फल देने वाला होता है। भविष्य पुराण में भी जहां इस व्रत का जिक्र मिलता है उसके मुताबिक अखण्ड़ सौभाग्य और संतान प्राप्ति की कामना के लिए मंगला गौरी व्रत रखने का विधान है।

वहीं ये भी मान्यता है कि वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों के अलावा विवाह में देरी या पति का सुख नहीं मिल पाने वाली महिलाओं को ये व्रत अवश्य करना चाहिए।

मंगला गौरी व्रत के दौरान ऐसे करें माता की पूजा : पूजा विधि-
मंगला गौरी व्रत के तहत सावन के मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्मों के पश्चात साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही मंदिर आदि स्थानों की सफाई के बाद मां मंगला गौरी की एक तस्वीर या मूर्ति पूजा स्थान पर स्थापित कर उन्हें फल व फूल चढ़ाने चाहिए।

अब आटे से बने दीपक पर देवी मां के सामने सोलह बत्तियां जलाएं। फिर श्मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्येश् श्लोक से देवी मां की पूजा प्रारंभ करें। इस पूजा में जो विशेष ध्यान देने वाली बात है वो ये है कि इस पूजा में हर चीज 16 की संख्या में होनी चाहिए, इसके अलावा देवी माता के इस व्रत के दौरान पूरे दिन में एक ही समय अन्न ग्रहण करने का विधान भी है।

मां मंगला गौरी की कथा
मां मंगला गौरी की कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक शहर में एक व्यापारी धर्मपाल रहता था। उसके पास काफी धन-दौलत थी, लेकिन संतान नहीं होने के चलते वे दोनों पति-पत्नी हमेशा दुखी रहने के बाद भी ईश्वर पर विश्वास के चलते सदैव भक्ति में लीन रहते थे। उनकी इस भक्ति को देखते हुए एक दिन देवी माता पार्वती की कृपा के साथ ही भगवान शिव के आशीर्वाद से उनको पुत्र की प्राप्ति हुई, परंतु वह उनका पुत्र अल्पायु था। उनके पुत्र के जीवन की कुल आयु्र केवल 16 वर्ष ही थी।

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वहीं संयोगवश उनके पुत्र की शादी 16 वर्ष की आयु से पहले ही एक ऐसी युवती से हो गई जो मंगला गौरी व्रत करती थी। जिसके बाद 16 वर्ष की आयु होते ही युवक मृत्यु को प्राप्त हो गया। लेकिन युवती के लगातार मंगला गौरी के पूजन से माता प्रसन्न हुईं और शिव के आशीर्वाद ये वह युवक फिर से जीवित होकर पत्नी के साथ सुखी जीवन जीने लगा। इसी तरह व्यापारी को दीर्घ आयु प्राप्त हुई।

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इस दिन क्या भूलकर भी ना करें
1- इस दिन देवी मां के मंत्र जाप करते समय शरीर को स्थिर रखें और मंत्र का जाप गा कर न करें।
2- इस दिन मन और विचारों में पवित्रता को बनाए रखें।
3- ध्यान रहे इस दिन मां और मां की उम्र वाली महिलाओं का भूल से भी निरादर ना हो।
4- इस दिन छल,कपट व प्रपंच के साथ ही अपशब्दों के इस्तेमाल से भी बचें।
5- ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक रहने के अलावा मन में किसी प्राकर के बुरे विचार को प्रवेश न करने दें।

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क्यों है साल 2023 में विशेष- यह मंगलागौरी व्रत इस बार इसलिए विशेष है क्योंकि एक तो सावन का पहला दिन ही मंगलवार को होने के चलते इस बार सावन का प्रारंभ ही मां मंगलागौरी से शुरु हुआ वहीं 11 जुलाई को दूसरी बार मंगलवार के चलते मां मंगलागौरी व्रत तो रहेगा, लेकिन इसके बाद वाला मंगलवार सावन का नहीं माना जाएगा क्योंकि उससे पहले ही अधिक मास शुरु हो जाएगा। वहीं इसके बाद सावन के बाकि मंगलागौरी व्रत 22 और 29 अगस्त को पड़ेंगे।

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