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शनिदेव को प्रसन्न करना है तो इस देव की करें पूजा

आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दु:ख प्रदाता है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। मानव जीवन में शनि के सकारात्मक प्रभाव भी बहुत है।

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Shani Dev

Shani Dev

आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दु:ख प्रदाता है, पर सच में ऐसा नहीं है। सूर्यपुत्र शनि का नाम जेहन में आते ही तमाम तरह के अनिष्ट की आशंका से मन घबराने लगता है। हालांकि धीमी गति से चलने वाला शनि अत्यंत दार्शनिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति के देवता हैं। मानव जीवन में शनि के सकारात्मक प्रभाव भी बहुत है। शनि संतुलन व न्याय के ग्रह हैं। शनिदेव व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर ही फल प्रदान करते हैं। शनि व्यक्ति को दंडित करने का भी कार्य करते हैं। इसलिए व्यक्ति को हमेशा गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए।

शनिदेव की कथा
वैसे तो शनि के संबंध में कई कथाएं है। आज आपको हनुमानजी और शनिदेव के बारे में बताने जा रहे है। शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया है कि वे हनुमान भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे। पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन हनुमान जी रामभक्ति में डूबे हुए थे। तभी वहां से शनिदेव जा रहे थे। शनिदेव को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था। वे हनुमान जी के पास पहुुंचे और उन्हें ललकारने लगे।

हनुमानजी का ध्यान भंग करने का प्रयास
शनिदेव लगातार हनुमानजी का ध्यान भंग करने की कोशिश करते रहे, लेकिन सफलता नहीं हो सके। उन्होंने फिर भी कई प्रसास किए। बहुत देर बाद हनुमानजी ने अपनी आंखों को खोली और बड़ी विनम्रता से पूछा महाराज! आप कौन हैं? वीर बजरंगी की इस को बात सुनकर शनिदेव को गुस्सा हो गए और बोले, अरे मुर्ख बन्दर। मैं तीनों लोकों को भयभीत करने वाला शनि हूं। आज मैं तेरी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूं, रोक सकता है तो रोक ले। इतना सब कुछ होने के बाद भी हनुमान जी ने विनम्रता को नहीं त्यागा। उन्होंने कहा कि शनिदेव क्रोध न करें कहीं ओर जाएं। इसके बाद हनुमानजी फिर ध्यान लगाने के लिए आंखों को बंद कर लिया।

शनि ने धारण किया विकराल रूप
यह देखकर शनिदेव ने आगे बढ़कर हनुमानजी की बांह पकड़ ली और अपनी ओर खींचने लगे। हनुमानजी को लगा जैसे उनकी बांह किसी ने दहकते अंगारों पर रख दी हो। उन्होंने एक झटके से शनिदेव से बांह छुड़ा ली। नाराज शनि ने विकराल रूप धारण उनकी दूसरी बांह पकड़ने की कोशिश की। हनुमानजी को हल्का सा क्रोध आ गया और अपनी पूंछ में शनि देव को लपेट लिया।

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हनुमानजी को आया क्रोध
इसके बाद भी शनिदेव नहीं माने। उन्होंने कहा तुम तो क्या तुम्हारे श्रीराम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इतना सुनने के बाद तो हनुमान जी का क्रोध आ गया। अपनी पूंछ में लपेट कर शनिदेव को पहाड़ों पर वृक्षों पर खूब पटका और रगड़ा। इससे शनि देव का हाल बेहाल हो गया। शनि देव ने मदद के लिए कई देवी देवताओं को पुकारा लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया।

बजरंग बली से मानी क्षमा
शनिदेव ने अंत में बजरंग बली से क्षमा मांगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में वे आपकी छाया से भी दूर रहेंगे। तब हनुमान ने कहा कि वे मेरी ही छाया से नहीं बल्कि उनके भक्तों की छाया से भी दूर रहेंगे। तभी से शनि देव हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं। इसलिए शनि को शांत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है।