
Sharad Purnima 2025 (photo- gemini ai)
Sharad Purnima 2025: सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बेहद खास त्योहार माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है। इस साल चंद्रमा का उदय शाम 7:26 बजे होगा। व्रत रखने वाले भक्त दिनभर उपवास करेंगे और रात को चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य देंगे। शरद पूर्णिमा को देश के कई हिस्सों में कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। खासकर बंगाल, ओडिशा और असम में इसे बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर भक्तों को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला रचाई थी। इसी वजह से इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा से मां लक्ष्मी की कृपा पाने के विशेष उपाय
इस साल शरद पूर्णिमा पर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष योग रहेगा, जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। इसलिए यह तिथि धन प्राप्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि इस रात जागरण करके मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह विशेष कृपा बरसाती हैं।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। लाल फूल, धूप-दीप, इत्र, नैवेद्य और सुपारी से पूजन करें। लक्ष्मी चालीसा और आरती का पाठ करें। शाम को पुन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य दें। चावल और दूध की खीर बनाकर रात में चांदनी के नीचे रखें और आधी रात को उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी। इसलिए इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता और पृथ्वी पर चारों चंद्रमा की उजियारी फैली होती है। धरती जैसे दूधिया रोशनी में नहा जाती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बरसात होती है, इसलिए रात्रि में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा भी है।
Published on:
05 Oct 2025 06:20 pm
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