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Sharad Purnima 2025: जब चंद्रमा बरसाता है अमृत, तब धरती पर आती हैं लक्ष्मी, शरद पूर्णिमा की अलौकिक कथा

Sharad Purnima 2025: आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अपनी चांदनी के साथ अमृत की वर्षा करता है।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 05, 2025

Sharad Poornima 2025: अमृत खीर और भक्ति का उत्सव(photo-patrika)

Sharad Poornima 2025: अमृत खीर और भक्ति का उत्सव(photo-patrika)

Sharad Purnima 2025 Katha: भारतीय संस्कृति में हर पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है, लेकिन शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा से जोड़ा गया है। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा कहा जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अपनी चांदनी के साथ अमृत की वर्षा करता है।इस शुभ रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैंआइए जानें शरद पूर्णिमा की वह अलौकिक कथा, जो सदियों से लोगों को आस्था, भक्ति और सौभाग्य का मार्ग दिखा रही है।

शरद पूर्णिमा क्यों है इतनी विशेष?


पुराणों में वर्णित है कि वर्ष में एक ही रात ऐसी होती है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पृथ्वी पर अमृत बरसाता है और वह रात होती है शरद पूर्णिमा। नारद पुराण के अनुसार, इस रात मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं। वे हर घर, हर मनुष्य को देखती हैं कौन जाग रहा है, कौन साधना और सेवा में लीन है, और कौन आलस्य में डूबा है।जो लोग इस पावन रात में जागकर श्रद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें समृद्धि, वैभव और सुखों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

प्रेम और दिव्यता का अद्भुत संगम

ऐसा कहा जाता है कि प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य करने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने असंख्य रूप बना लिए थे।
यह रास सिर्फ एक नृत्य नहीं था, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन की अनुभूति थी भक्ति, प्रेम और दिव्यता का अद्भुत संगम। तभी तो शरद पूर्णिमा की पूजा करने से न केवल समृद्धि मिलती है, बल्कि जीवन में प्रेम और आनंद का भी संचार होता है।

शरद पूर्णिमा की अलौकिक कथा

प्राचीन काल की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण दंपत्ति की कन्या बार-बार बीमार पड़ती थी। तमाम उपचारों के बाद भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ। हारकर वे एक सिद्ध ऋषि के पास पहुंचे। ऋषि ने ध्यान कर बताया कि बालिका की कुंडली में ग्रह दोष है, परंतु एक उपाय है शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में बनी खीर उसे खिलाई जाए।ब्राह्मण दंपत्ति ने वैसा ही किया। उन्होंने खीर बनाकर उसे चांदनी में रखा और मध्यरात्रि में बालिका को वह खीर खिलाई। चमत्कारिक रूप से उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ और कुछ ही दिनों में वह पूर्णतः स्वस्थ हो गई।कहा जाता है कि उस रात चंद्रमा की किरणों में अमृत समाया होता है, और शरद पूर्णिमा की चांदनी से प्रसाद ग्रहण करने पर रोग, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर होता है।इस दिन मां लक्ष्मी भी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं, और जो घर स्वच्छ, शांत और भक्ति से भरा होता है, वहां वे स्थायी रूप से वास करती हैं।

शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों रखी जाती है खुले आसमान में?


शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्ण ऊर्जा के साथ चमकता है। माना जाता है कि उसकी किरणों में औषधीय गुण होते हैं। इस रात खीर को 3–4 घंटे चांदनी में रखने से वह अमृत तुल्य हो जाती है।
इस खीर को प्रसाद रूप में खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और सालभर निरोगी जीवन का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, चांद को देखना और सुई में धागा पिरोना आंखों की रोशनी के लिए भी लाभकारी माना गया है।