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नई दिल्ली: भारत में साल 2019 से इलेक्ट्रिक वाहनों ( EV ) को प्रमोट करने के लिए सरकार ने नये कदम उठाए हैं। सरकार देश में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए फ्रंट फुट पर नज़र आ रही है ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों पर ना सिर्फ सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है बल्कि इनकी कीमत भी कम रखने की भरसक कोशिश की जा रही है जिससे ये आसानी से हर रेंज के ग्राहक के बजट में आसानी से फिट हो जाए और ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल शुरू कर दें। इस दिशा में अब दिग्गज E-commerce ( ई-कॉमर्स ) कंपनी Amazon ( अमेजन ) ने बड़ा कदम उठाते हुए साल 2025 तक सामान डिलीवर करने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से रिप्लेस करने का फैसला लिया है जो पर्यावरण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
दरअसल कंपनी ने ऐलान किया है कि साल 2025 तक डिलीवर वाहनों के बेड़े में 10,000 Electric Vehicles ( इलेक्ट्रिक वाहन ) शामिल किए जाएंगे। अमेजन की प्रतिद्वंद्वी ई-कॉमर्स कंपनी Flipkart ( फ्लिपकार्ट ) इससे पहले ही मेट्रो सिटीज़ जैसे दिल्ली, हैदराबाद और बंगलूरू में अपने डिलीवरी वाहनों के बेड़े में EV's को शामिल कर चुकी है।
अमेजन की तरफ से सोमवार को एक स्टेटमेंट में बताया गया है कि साल 2019 में भारत के कई शहरों में ई-वाहनों का परीक्षण कर चुकी है, जिसका विस्तार पूरे देश में किया जाएगा। इससे पहले कंपनी ने जून, 2019 में कहा था कि वह मार्च, 2020 तक डिलिवरी वाहनों के बेड़े में 40 फीसदी वाहनों को हटाकर उनकी जगह ई-वाहनों को शामिल करेगी। Amazon (अमेजन) के संस्थापक और सीईओ Jeff Bezos ने सोमवार को एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें वो इलेक्ट्रिक रिक्शा चलाते दिख रहे हैं। इसके साथ ही बेजोस ने एलान किया कि वो भारतीय बाजार में अपनी कंपनी का Electric Delivery Rickshaw (इलेक्ट्रिक डिलिवरी रिक्शा) उतार रहे हैं।
कंपनी ने कहा, परीक्षण से टिकाऊ और लंबे समय तक उपयोगी ई-वाहनों के विकास में मदद मिली है। भारत में मूल उपकरण निर्माताओं ने तिपहिया और चार पहिया वाहनों समेत 10,000 ई-वाहनों के बेड़े का डिजायन तैयार किया है। 2020 में ये वाहन दिल्ली-एनसीआर, बंगलूरू, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, नागपुर और कोयम्बटूर समेत अन्य शहरों की सड़कों पर फर्राटा भरेंगे।
इतना ही नहीं बल्कि अमेजन की तरफ से ये भी कहा गया है कि कंपनी साल 2030 तक डिलीवरी वाहनों के बेड़े में ई-वाहनों की संख्या बढ़ाकर एक लाख करेगी। इससे साल 2030 तक सालाना 4 टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा। यह पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है और इससे ना सिर्फ प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी बल्कि इससे लाखों की संख्या में लोगों को रोज़गार भी मिलेगा जिससे अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती मिलेगी।
Published on:
21 Jan 2020 02:00 pm
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