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अयोध्या में राम मंदिर का उत्साह, मस्जिद की कवायद ठंडी

- नींव पूजन के बाद ट्रस्ट लेगा कोई फैसला- अधिकतर सदस्य मस्जिद निर्माण के पक्ष में नहीं- ट्रस्ट ने तय किए आठ सदस्य, ट्रस्ट गठन के बाद होगा निर्णय

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Ayodhya news

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
अयोध्या. राम मंदिर निर्माण (Ram Temple) के लिए भूमि पूजन की तैयारियों के बीच मस्जिद निर्माण (Masjid construction) के लिए ट्रस्ट गठन की कवायद शुरू हो गई है। उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Wakf Board) के चेयरमैन जुफर अहमद फारुकी (Ahmad Farooqui) का कहना है कि ट्रस्ट के 15 में से 8 सदस्यों का नाम तय हो चुका है। जल्द ही ट्रस्ट का ऐलान होगा। 5 अगस्त के बाद धुन्नीपुर गांव में मिली जमीन पर मस्जिद बने या फिर कुछ और इस संबंध में फैसला लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार यूपी सरकार (UP Government) ने अयोध्या से 25 किमी दूर सोहावल तहसील के धुन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित की है। बोर्ड ने जमीन के लिए अपना स्वीकृति पत्र जिला प्रशासन को भेज दिया है, लेकिन लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से विलंब हुआ और जमीन का चिन्हांकन नहीं हो पाया। फिलहाल, आवंटित जमीन पर धान की फसल लहलहा रही है।

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ट्रस्ट में होंगे प्रगतिशील सोच के लोग-
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि ट्रस्ट का गठन राम मंदिर भूमि पूजन के बाद हो जाएगा। ट्रस्ट में प्रगतिशील सोच के लोग होंगे जो मस्जिद और अन्य निर्माण कार्यों के लिए संसाधन जुटा सकें। उन्होंने कहा जन सहयोग से पैसा एकत्र होगा या व्यक्तिगत स्तर पर। इस बारे में भी फैसला ट्रस्ट करेगा। उन्होंने कहा, मस्जिद, इस्लामिक रिसर्च सेंटर, अस्पताल और लाइब्रेरी के निर्माण के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड या अन्य किसी प्रमुख मुस्लिम संगठन का सहयोग की उम्मीद कम ही है। इस बीच बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी व स्थानीय लोगों ने मस्जिद के स्थान पर स्कूल व अस्पताल बनाए जाने की मांग है।

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फिलहाल कृषि विभाग के पास जमीन-
अयोध्या कस्बे से करीब 25 किमी दूर रौनाही थाने के पीछे धन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए आवंटित पांच एकड़ ज़मीन फिलहाल कृषि विभाग के 25 एकड़ वाले एक फार्म हाउस का एक हिस्सा है। इस जमीन पर इस समय धान की फसल लहलहा रही है।

छह माह बीते अब सिर्फ जमीन देखी-
ज़मीन को लेकर और न ही मस्जिद बनाने को लेकर मुस्लिम समुदाय में कोई कोई उत्सुकता है। छह माह बीत चुके हैं। अभी तक वक्फ बोर्ड के लोग राजस्व अधिकारियों के साथ महज जमीन देखने आए थे। इस संबंध में सुन्नी वक्फबोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर अहमद फारूक़ी का कहना है कि "ज़मीन मिलने के बाद कुछ तय होता, उससे पहले लॉकडाउन लग गया। अभी नाप-जोख भी ठीक से नहीं हुई है।

मुस्लिमों में उत्सुकता नहीं-
बाबरी मस्जिद एक प्रमुख पक्षकार हाजी महबूब का कहना हैं, "इतनी दूर ज़मीन देने का कोई मतलब नहीं है। अयोध्या का मुसलमान वहां जाकर नमाज़ नहीं पढ़ सकता है। जमीन अयोध्या में ही और शहर में ही देना चाहिए था। एक अन्य पक्षकार इक़बाल अंसारी भी धुन्नीपुर में मस्जिद के लिए ज़मीन देने की बात को तवज्जो नहीं देते। वह कहते हैं, बाबरी मस्जिद अयोध्या में थी और उसके लिए ज़मीन भी वहीं दी जानी चाहिए थी। 25-30 किलोमीटर दूर ज़मीन देने का क्या मतलब है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तमाम सदस्य भी इस फ़ैसले का विरोध करते रहे और सुन्नी वक्फ़ बोर्ड पर भी इसे स्वीकार न करने के लिए दबाव बनाते रहे लेकिन सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने ज़मीन देने की सरकार की पेशकश स्वीकार कर ली थी और अब वहां मस्जिद बनाने की तैयारी करेगी।

ज़मीन पर हो रही है धान की खेती-
धन्नीपुर के ग्राम प्रधान राकेश कुमार यादव के अनुसार ज़मीन अभी भी वैसे ही है। खाली पड़ी जमीन में धान की खेती हो रही है। जब पैमाइश होगी तब ज़मीन वक्फ़ बोर्ड को मिल जाएगी।