23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ayodhya News: अयोध्या में टूटी करीब 288 वर्ष पुरानी परंपरा, निकले हनुमानगढ़ी के महंत रथ यात्रा में हाथी घोड़े ऊंट के साथ विशाल जन समूह

Ayodhya News: अयोध्या प्रेमदास ने रामलला के दर्शन की इच्छा जताई थी। कहा था- मेरे सपने में हनुमान जी आए थे। उन्होंने रामलला का दर्शन करने का आदेश दिया। इसके बाद उन्होंने अखाड़े के सभी सदस्यों की 21 अप्रैल को बैठक बुलाई। इसके बाद 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन रामलाल का दर्शन करने के लिए तैयारी की गई।

2 min read
Google source verification
Ayodhya News

शोभा यात्रा में हनुमानगढ़ी के महंत

Ayodhya News: अयोध्या आज ऐतिहासिक पलों का साक्षी बन गया है। 288 वर्षों में पहली बार हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन प्रेमदास जी महाराज शाही जुलूस के साथ रामलला के दर्शन के लिए निकले। सुबह करीब 7 बजे का वक्त रहा होगा। जब यह ऐतिहासिक यात्रा हनुमानगढ़ी से शुरू हुई। जिसमें हाथी, घोड़े, बैंड-बाजा और विशाल जनसमूह शामिल रहा।

Ayodhya News: हनुमानगढ़ी के महंत प्रेमदास का कहना है कि हनुमान जी ने सपने में आकर उनको रामलला के दर्शन करने का आदेश दिया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए निर्वाणी अखाड़े ने अपनी परंपरा को तोड़ते हुए महंत को राम मंदिर के दर्शन की अनुमति दी। बता दें कि सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन को जीवन भर मंदिर से बाहर जाने की मनाही होती है। प्रेम दास द्वारा राम मंदिर में दर्शन की इच्छा के बाद इस परंपरा में बदलाव किया गया है।

पहली बार निकले हनुमानगढ़ी के महंत, ऐतिहासिक पलो का साक्षी बना अयोध्या

हनुमानगढ़ी के महंत प्रेमदास रामलला के दर्शन के लिए पहली बार मंदिर से बाहर निकले। बुधवार सुबह सात बजे वह हाथी, घोड़े, ऊंट और भक्तों के साथ रथ पर सवार होकर निकले। हनुमान गढ़ी से यात्रा शुरू होकर सरयू तट पर पहुंची। सरयू नदी में स्‍नान के बाद महंत प्रेमदास राम मंदिर पहुंचे। वहां छप्‍पन भोग का अर्पण किया। यह यात्रा लगभग एक किलोमीटर की होगी। यह एक ऐतिहासिक पल है।

हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी करीब 30 सालों से मंदिर की सीमा से बाहर नहीं गए

हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी करीब 30 सालों से मंदिर की सीमा से बाहर नहीं गए थे। महंत को अयोध्या का रक्षक माना जाता है। उनका मंदिर में रहना जरूरी माना जाता है। लेकिन आज अक्षय तृतीया के मौके पर उन्‍होंने इस पुरानी परंपरा को तोड़ दिया।

जब भगवान पृथ्वी से गए तो उन्होंने हनुमान जी को अपना राज्य सौंप दिया

हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत का मंदिर से बाहर न जाना एक पुरानी परंपरा है। यह परंपरा 18वीं शताब्दी में मंदिर की स्थापना के साथ शुरू हुई थी। उस समय, 'गद्दी नशीन' महंत को अदालत में भी पेश होने की अनुमति नहीं थी। लोगों का मानना है कि जब भगवान राम पृथ्वी से गए। तो उन्होंने हनुमान जी को अपना राज्य सौंप दिया था। इसलिए, हनुमान जी अयोध्या के रक्षक बन गए। महंत को हनुमान जी का प्रतिनिधि माना जाता है। इसलिए उनका मंदिर में रहना जरूरी है। महंत का काम भगवान राम और हनुमान जी की मौजूदगी में शहर की रक्षा करना है। यह नियम हनुमान गढ़ी के 'संविधान' में लिखा है। जो करीब 300 साल से भी पुराना है। हनुमान गढ़ी के लिए जमीन 1855 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने दान की थी।

यह भी पढ़ें:Gonda: डीएम की बड़ी कार्रवाई, अधिशासी अभियंता को भ्रामक रिपोर्ट देने पर विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि

महंत प्रेमदास करीब 8 सालों से गद्दीनशीन

महंत प्रेमदास 8 सालों से गद्दीनशीन हैं। इस अवधि में वह कभी भी बाहर नहीं आए।अक्षय तृतीया पर बुधवार को हनुमानगढ़ी से संत प्रेमदास बाहर निकले। हाथी, घोड़े, बैंड–बाजे और शंखनाद के साथ सरयू तट पर पहुंचे। इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की।