
Milkipur By-Election
Milkipur 2025 Election: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी चन्द्रभानु पासवान (बीजेपी) और अजित प्रसाद (सपा) आमने-सामने हैं। अपने दावों और वादों के साथ दोनों प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं लेकिन क्या ये अपने समीकरण और वोट बैंक को साध पाएंगे ये मिल्कीपुर का अहम सवाल है।
सपा प्रत्याशी अजित प्रसाद और भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रभानु पासवान के अलावा आजाद समाज पार्टी (कांसीराम) ने संतोष कुमार ‘उर्फ़’ सूरज चौधरी को चुनावी मैदान में अपन प्रत्याशी उतरा है। मौलिक अधिकार पार्टी से राम नरेश चौधरी भी इस बार दो-दो हाथ करने को तैयार हैं।
इनके अलावा भोलानाथ, अरविंद कुमार, वेद प्रकाश और संजय पासी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। यह चारों सपा-भाजपा के जातीय और वोट बैंक समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। इनकी मौजूदगी प्रमुख दलों के लिए चुनौती बन सकती है और परिणाम को अप्रत्याशित बना सकती है।
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में दो महिला प्रत्याशियों ने भी नामांकन किया है और वो इस बार राजनीति के धुरंधरों से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। राष्ट्रीय जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) से सुनीता चुनावी मैदान में है तो कंचनलता निर्दलीय अपना भाग्य आजमा रही हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए 14 प्रत्याशियों ने 22 सेट में नामांकन पत्र दाखिल किए थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने अपनी जांच में 10 नामांकन पत्रों को वैध घोषित किया है। इनमें से 4 नामांकन पत्र में कमी होने के कारण उन्हें खारिज कर दिया गया।
फैजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के सांसद बनने की कहानी जग-जाहिर है। मिल्कीपुर में ये साफ हो चूका है कि पासी और पिछड़ा वोट जिसे मिलेगा वो यहां बाजी मारेगा। भाजपा ने इसी समीकरण पर काम करते हुए बाबा गोरखनाथ और राधेश्याम त्यागी जैसे कद्दावर जमीनी नेताओं का टिकट काट चन्द्रभानु पासवान पर भरोसा जताया है।
मिल्कीपुर में जातीय समीकरण और व्यक्तिगत वोट बैंक का असर पूर्व के चुनावों में देखने को मिला है। ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशियों का मैदान में आना किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा हो सकता है। हालांकि, ये निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और सपा के वोट बैंक में सेंध मार सकते हैं और इससे परिणाम में बदलाव भी देखने को मिल सकता है।
चुनाव आयोग के अनुसार, मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख से अधिक मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,82,430 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,58,381 है। अगर इस क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो वो कुछ इस प्रकार है :
यादव समाज के 55,000, पासी समाज के 55,000 और मुस्लिम समाज के 30,000 वोट समाजवादी पार्टी के वोट बैंक हैं। ऐसे में इन जातियों के सर्वाधिक मत सपा को जाएंगे। समाजवादी पार्टी इसके अतिरिक्त अपने दलित और अन्य जातियों को साधने की कोशिश करेगी लेकिन भाजपा के चन्द्रभान पासवान का भी निशाना वही जातियां हैं।
दलित समाज के 25,000, कोरी समाज के 20,000, चौरसिया समाज के 18,000, वैश्य समाज के 12,000, पाल समाज के 7,000 और मौर्य समाज के 5,000 वोट सपा प्रत्याशी अजित प्रसाद, भाजपा प्रत्याशी चन्द्रभानु पासवान और आजाद समाज पार्टी के संतोष कुमार उर्फ़ सूरज चौधरी के बीच बंट सकता है।
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर समाज के लोगों की संख्या 25,000 है। कमोबेस ये बात पक्की है कि ठाकुर समाज भारतीय जनता पार्टी को मतदान देंगे। ऐसे में उत्तर प्रदेश की चुनावी इतिहास को ध्यान में रखते हुए ये कहा जा सकता है कि ब्राह्मण इस बार मिल्कीपुर के किंग मेकर बन सकते हैं क्यूंकि ब्राह्मण सपा और भाजपा दोनों में से किसी के कोर वोट बैंक का हिंसा नहीं हैं।
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Published on:
20 Jan 2025 07:19 pm
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