
यूपी के इिस जिले में मिला 'वासुदेव' का खजाना, मटके में मिली इतनी मुद्राएं कि चौंधियां गईं आखें - देखें वीडियो
बागपत। जनपद की धरती कई बार इतिहास का राज उगलती रही है। बरनावा और सिनौली में मिले प्रचीन काल के प्रमाण इस बात का सबूत हैं। अब एक बार फिर बागपत से इतिहास का खजाना निकला है। इस बार खपराना में कुषाणकालीन मिला है। यह राजा वासुदेव के शासनकाल की बताई जा रही हैं, जो 1800-2000 साल पुराना है।
1800-2000 साल पुरानी ताम्र मुद्राएं मिलीं
खपराना गांव के प्राचीन टीले पर शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार अमित राय जैन ने जांच की थी। इसमें उन्हें ऊपरी सतह पर बिखरे पड़े प्राचीन सभ्यता के मृदभांड के अलावा 1800-2000 साल पुरानी ताम्र मुद्राएं प्राप्त हुई हैं। इतिहासकार की मानें तो यह गांव के 100 बीघा क्षेत्रफल में फैले टीलों पर कुषाण कालीन समेत अन्य मानव सभ्यता होने का प्रमाण दे रही है। प्रारंभिक जांच के बाद इन दुर्लभ मुद्राओं और पुरावशेषों के संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे एएसआई को भेजा जाएगा।
दो दर्जन से अधिक सिक्के मिले
महाभारत काल के सबूत बरनावा लाक्षाग्रह से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित खपराना गांव में प्राचीन टीले हैं। इतिहासकार अमित राय जैन को इस टीले से खंडित मृदभांड, महिलाओं द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले कर्णाभूषण, झावा (पैर साफ करने के लिए), खिलौने और खाद्य सामग्री रखने वाले पात्रों के अलावा ताम्र मुद्राएं मिली हैं। ये मुद्राएं मिट्टी की एक छोटी लुटिया में मौजूद थीं। इसमें दो दर्जन से अधिक सिक्के मौजूद थे। मिट्टी में अधिक समय तक दबे रहने के कारण सिक्के साफ नहीं पता चल रहे थे। इसके बाद वे खपराना गांव के इस टीले पर उत्खनन कराने की भी मांग करेंगे।
200-225 एडी में राजा वासुदेव ने जारी किए थे सिक्के
निदेशक अमित राय जैन का कहना है कि ये प्राचीन सिक्के कुषाण कालीन शासक वासुदेव द्वारा 200-225 एडी (1800-2000 वर्ष) में अपनी विनिमय मुद्राओं के रूप में जारी किए गए थे। इन पर अत्यधिक रूप से मिट्टी चढ़ी होने के कारण अंकित चित्र व भाषा स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं। 7-8 ग्राम वजनी सिक्का 23 मिमी का है। सिक्के के एक ओर स्वयं राजा वासुदेव खड़ी मुद्रा में सर पर मुकुट पहने हुए अंकित हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ से यज्ञ वेदी में आहूति डालते हुए अंकित हैं। सिक्के के दूसरी ओर भगवान शिव डमरू व त्रिशूल के साथ अपने वाहन नंदी के साथ खड़े हुए हैं।
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महाभारत काल के भी मिल चुके हैं सबूत
उनका कहना है कि आवश्यकता है कि अब शासन-प्रशासन स्तर पर इन पुरास्थलों का संरक्षण किया जाए। इनको संरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित करते हुए यहां पर अवैध खनन पर रोक लगाई जाए। आपको बता दें कि इससे पहले सिनौली में हुई खुदाई में प्रचीन योद्धा का शव, ताबूत और रथ मिला था। इसके अलावा वहां से कई तलवारें भी मिली थीं। इन्हें महाभारत काल का बताया गया था।
Published on:
17 Nov 2018 09:29 am
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