
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
बागपत. राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह (Ajit Singh)अपनी सियासी पारी शुरू करने से पहले अमरीका में कंप्यूटर इंजीनियर की बढ़िया नौकरी कर रहे थे। वे भारत नहीं आना चाहते थे लेकिन पिता चौधरी चरण सिंह की इच्छा के चलते वापस आए। 60 के दशक में दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटर कंपनी आईबीएम में अजित आला स्थिति में थे। लखनऊ विश्व विद्यालय से बीएससी के बाद आइआइटी खडग़पुर से एमटेक किया। फिर कंप्यूटर साइंस में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए शिकागो चले गए। यहां की इलिनोइस इंस्टीट्यूट से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट किया। फिर आईबीएम में नौकरी कर ली।
1989 में बागपत से बने सांसद
80 के दशक के चौधरी चरण सिंह ने पार्टी में अपना सियासी वारिस के तौर पर उन्हें भारत बुलाया। 1986 में जब उनके पिता चरण सिंह बीमार थे तो वो राज्यसभा पहुंचे। 1987 में लोकदल (ए) के अध्यक्ष और बाद में 1988 में जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। 1989 में जनता दल के महासचिव बनाए गए। पहली बार बागपत से 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए। और वीपी सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 1991 में लोकसभा पहुंचे तब पीवी नरसिंहराव की सरकार में मंत्री बने। 1999, 2004 औऱ 2009 में फिर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2001 से 2003 में वो अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने। इस तरह पिछले 2-3 दशकों में तकरीबन केंद्र में हर सरकार में मंत्री रहे। 2011 में यूपीए सरकार में केंद्रीय उड्डयन मंत्री रहे। हालांकि इतने समय तक मंत्री रहने के बाद भी वह अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की मजबूत विरासत और जमीन को बनाकर नहीं रख पाए। उम्र के आखिरी पड़ाव में न तो यूपी विधानसभा में रालोद का कोई सदस्य है और ना ही लोकसभा और राज्यसभा में।
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Updated on:
06 May 2021 07:12 pm
Published on:
06 May 2021 07:04 pm
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