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यहां मिले 872 पॉजीटिव केस, बच्चों में अब नई बीमारी का खतरा

sickle cell- अस्थमा, कुपोषण के बाद अब सिकल-सेल का प्रभाव, आंकड़ों ने चौंकाया...।

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बालाघाट। जिले में अस्थमा, टीबी और कुपोषण जैसी घातक बीमारियों से जूझते बचपन में एक और सिकलसेल बीमारी (Sickle Cell) सामने आ रही है। एनआरएचएम की रिपोर्ट से पता चलता है कि जिले में जन्म लेने वाले अधिकांश बच्चे टीबी, अस्थमा जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं। वहीं अब बड़ी संख्या में बच्चे और बड़े सिकलसेल एनीमिया (Sickle cell anemia ) से ग्रसित हो रहे हैं।

यह खुलासा सिकलसेल एनीमिया मिशन के तहत जिले के आदिवासी बाहुल्य बैहर, बिरसा एवं परसवाड़ा क्षेत्र चलाए जा रहे अभियान के दौरान हुआ है। 19 से 23 अप्रैल के महज पांच दिनों के अभियान में 872 मरीज पाजेटिव मिले हैं, जो कि चिंताजनक स्थिति है। बताया गया कि इन पांच दिनों में कुल 17 हजार 177 जांचे की गई, जिसमें 872 मरीज पॉजिटिव आए हैं। जांच का कार्य निरंतर जारी रहेगा, इस हिसाब से आगे और मरीज सामने आने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

यह भी एक बड़ा कारण

पर्यावरण में जैसे-जैसे बदलाव होते जा रहे हैं, इससे लोगों में कई तरह के रोग बढ़ते जा रहे हैं। पर्यावरण का असर सीधे जीन पर भी पड़ता है। पर्यावरण की बदली हुई परिस्थिति में कुछ आनुवांशिक रोग ज्यादा परेशानी पैदा कर सकते हैं। सिकलसेन भी इसी तरह की एक आनुवंशिक बीमारी है, जो कि जीन में असामान्य बदलाव की वजह से होती है। आनुवंशिक का मतलब है कि यदि मातापिता को यह बीमारी है, तो उनसे बच्चों में भी यह बीमारी पारित हो सकती है।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञ चिकित्सकों की माने तो बच्चों के लिए टीकाकरण में न्यूमोकोकल लू और मेनिंगोकोकल के टीके लगाकर उपचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि रोगी के असामान्य जीन को बदलकर इसका इलाज किया जा सकें। ऐसे रोगियों को अपने शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम नहीं होने देना चाहिए। इसके अलावा अच्छा आहार, हरी सब्जियां और रक्त बढ़ाने के लिहाज से फल व संतुलित आहार लिया जाना चाहिए।

जिले की स्थिति

ब्लॉक जांच की गई पॉजीटिव मरीज

परसवाड़ा 9274 580
बैहर 5221 220
बिरसा 2682 072
कुल 17177 872
नोट 19 से 23 अप्रैल तक सामने आए मरीज।

19 से 23 अप्रैल तक सिकल सेल एनीमिया मिशन के अंतर्गत जिले के ट्रायबल क्षेत्रों में अभियान चलाकर जांचें की गई है। इस दौरान 17177 जांच में 872 मरीज पॉजीटिव आए हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है। सिकल सेल एनीमिया के मरीजों का पता लगाने के लिए जांच का कार्य निरंतर जारी रहेगा।

-डॉ परेशन उपलप, जिला टीकाकरण अधिकारी

क्या है सिकलसेल एनीमिया

विशेषज्ञों के अनुसार सिकेल सेल एनीमिया एक प्रकार का रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सी शेप, अर्धचंद्राकार या सिकेल शेप में बदल जाती हैं। बच्चों को भी यह बीमारी घेर लेती है। सिकेल शेप की लाल रक्त कोशिकाएं स्वस्थ अंडाकार शेप वाली कोशिकाओं की तुलना में सत और चिपचिपी हो सकती हैं। इससे रक्त बनना बंद हो जाता है और खून की लगातार कमी होने लगती है। ऐसे मरीजों को हमेंशा ही रक्त की आवश्यकता होती है, रक्त नहीं मिलने पर जान का खतरा भी बना रहता है।