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प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि के लिए तेज धूप में हितग्राही लगा रहे महीने भर से जनपद का चक्कर

प्रधानमंत्री आवास की किश्त के लिए 100 से अधिक हितग्राही तेज धूप में दिनभर जनपद का चक्कर लगाते रहे। सीईओ नहीं आई, तो शाम 4 बजे वापस खाली हाथ लौट गए। यहा स्थिति प्रतिदिन रहती है, जहां जनपद कार्यालय में 50-60 ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास की राशि के लिए भटक रहे हैं।

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प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि के लिए तेज धूप में हितग्राही लगा रहे महीने भर से जनपद का चक्कर

बालोद/गुरुर @ patrika. प्रधानमंत्री आवास की किश्त के लिए 100 से अधिक हितग्राही तेज धूप में दिनभर जनपद का चक्कर लगाते रहे। सीईओ नहीं आई, तो शाम 4 बजे वापस खाली हाथ लौट गए। यहा स्थिति प्रतिदिन रहती है, जहां जनपद कार्यालय में 50-60 ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास की राशि के लिए भटक रहे हैं। @ patrika. सरकार ने हितग्राहियों के खाते में सीधी राशि भेज दी है, लेकिन हितग्राही अपने खातों से राशि नहीं निकाल पा रहे हैं। हितग्राहियों को बैंक खातों से राशि निकालने पर जनपद पंचायत सीईओ ने प्रतिबंध लगा रखा है। सीईओ की अनुमति के बाद ही हितग्राहियों को बैंकर्स राशि निकालने दे रहे हैं। इसी अनुमति के लिए ग्रामीण प्रतिदिन जनपद का चक्कर लगा रहे हैं।

1400 आवास में से 730 का चल रहा निर्माण
जनपद पंचायत अंतर्गत विकासखंड में वर्तमान में स्वीकृत 1400 आवास में से 730 प्रधानमंत्री आवास का कार्य प्रगति पर है। पूर्व में स्वीकृत आवासों में से 10 आवास भी प्रगति पर है। कुल 740 प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कार्य चल रहा है। इन्ही आवासों के कामों की प्रगति के आधार पर शासन ने दूसरी किश्त की राशि हितग्राहियों के खाते में डाल दी है, पर जनपद सीईओ के तुगलकी आदेश के कारण आवास निर्माण के हितग्राहियों के लिए मुसीबत बन गई है। @ patrika. बताया गया कि जनपद पंचायत के पीएम आवास के हितग्राही गत एक माह से परेशान हैं। जनपद पंचायत ने आवास की राशि आहरण पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसके लिए अनुमति के लिए हितग्राही चक्कर लगा रहे हैं।

नहीं मिलती सीईओ, तो कोसते लौटे गांव
सोमवार को भी 100 से अधिक ग्रामीण जनपद कार्यालय पहुंचे थे। हितग्राही प्रात: 10 बजे से गुरुर पहुंचने लगे थे। उन्हें किसी ने नहीं बताया कि सीईओ कब आएगी। चार बजे शाम को बताया गया कि सीईओ जनपद कार्यालय नहीं आएगी, कल आना। ग्रामीण 5 से 6 घंटे कड़ी धूप में भूखे-प्यासे बैठे रहे। कार्य नहीं होने से शासन-प्रशासन को कोसते हुए वापस चले गए।

40-50 किलोमीटर दूर से आने को मजबूर
विकासखंड का अंतिम छोर का गांव 50 किलोमीटर दूर है, जहां से बुजुर्ग ग्रामीण सुबह से घर से निकल जाते हैं ताकि समय पर जनपद कार्यालय पहुंच सके, लेकिन जनपद आने के बाद उनका कार्य होगा या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती। कई ग्रामीणों ने बताया वे तीन-चार बार चक्कर लगा चुके हैं लेकिन सीईओ मिलती ही नहीं। मिलती भी है तो घंटों बैठाने के बाद शाम तक काम होता है।

यहां मर गई इंसानियत, आने-जाने में हो रहा खर्च
प्रधानमंत्री आवास के लिए जिनके नाम से आवास स्वीकृत है उन्हें ही अनुमति के लिए आना पड़ता है। कई हितग्राही दिव्यांग हैं, तो कई लकवाग्रस्त व बीमार हैं उसके बाद भी उन्हें जनपद कार्यालय बुलाया जाता है। हितग्राहियों को इन सबसे मानसिक एवं शारीरिक प्रताडऩा सहनी पड़ रही है। जनपद प्रशासन के एक तुगलकी आदेश से हितग्राहियों का बजट बिगड़ गया है। आने-जाने में राशि खर्च हो रही है। वाहनों का किराया लगाता है, तो वहीं सुबह से आने के कारण दिन में भोजन आदि में खर्च करना होता है। वहीं एक दिन की मजदूरी भी जाती है।

अधिकारी मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं
कहने को तो सीईओ गुरुर मुख्यालय में रहती हैं। विभिन्न शासकीय कार्यों के नाम पर जनपद कार्यालय में समय पर नहीं पहुंचती। कब आएगी यह बताने वाला कार्यालय में कोई नहीं है, जबकि जनपद प्रशासन जानता है कि प्रतिदिन प्रधानमंत्री आवास की राशि आहरण की अनुमति के लिए ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे हंै।

इसलिए लगाया प्रतिबंध
जनपद अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास की राशि से हितग्राही भवन के पृथक अन्य कार्यों में राशि खर्च करते हैं जिससे आवास निर्माण कार्य की गति प्रभावित होती है। @ patrika. राशि का अन्यत्र उपयोग न हो इसके लिए प्रतिबंध लगाया गया है। हितग्राही पहले आवश्यकतानुसार बैंक से राशि निकालकर आवास में खर्च करते थे। प्रतिबंध के बाद अनुमति की बाध्यता के कारण बार-बार अनुमति के लिए चक्कर लगाने से बचने के लिए हितग्राही एक मुश्त राशि निकाल रहे हैं।

राशि दुरुपयोग का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं
जब जनपद के आवास विभाग से जानकारी मांगी गई कि कितने हितग्राहियों ने राशि का दुरुपयोग किया एवं उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई इसका कोई प्रमाणित डाटा वे उपलब्ध नहीं करा सके। कहा जाए कि जनपद प्रशासन ने मात्र राशि के अन्यत्र खर्च कर देने की आशंका में ही फरमान जारी कर दिया।

बिना सोचे प्रतिबंध से स्वयं का पैसा भी नहीं निकाल पा रहे लोग
प्रधानमंत्री आवास के लिए हितग्राहियों का पृथक से खाता नहीं खोला गया है। हितग्राही के बैंक खाते में ही राशि डाली जा रही है। इसी खाते में अधिसंख्य हितग्राहियों का रोजगार गारंटी की मजदूरी, धान विक्रय की राशि व अन्य कार्यों की राशि आती है। @ patrika. जनपद प्रशासन ने विवेकहीन निर्णय लेते हुए खाते से राशि आहरण पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे हितग्राही पीएम आवास की राशि के साथ अन्य निजी राशि का भी आहरण नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए भी हितग्राही जनपद प्रशासन से अनुमति के लिए चक्कर लगा रहा है।

जिला कार्यालय से मिला है मौखिक आदेश : एसीइओ
मामले में जनपद सीईओ रोशनी भगत से बात नहीं हो सकी। बताया गया कि वे सोमवार को टीएल की बैठक में जिला मुख्यालय गई हुई है। अतिरिक्त सीइओ बीआर गंजीर ने कहा जिला कार्यालय से मौखिक आदेश मिला है उस आधार पर प्रतिबंध लगाया गया है। @ patrika. सोमवार को सीइओ टीएल की बैठक में जाती हैं इसलिए आवास मित्रों को बताया जा चुका है कि वे हितग्राही को जनपद कार्यालय आने से मना करे। उसके बाद भी हितग्राही आ जाते हैं। प्रधानमंत्री आवास के जिला समन्वयक प्रभात साहू से लगातार दो-तीन घंटे तक चर्चा करने के लिए उनके मोबाइल पर काल किया गया, लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया जिससे उनसे बात नहीं सकी।