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ये काम करने से बाहर आती हैं बुरी भावनाएं, महाराज ऋषभ सागर ने बताया कर्म का महत्व

Maharaj Rishabh Sagar: महाराज ऋषभ सागर ने कहा कि जीवन तो कीड़े मकोड़ों का भी होता है और महापुरुषों का भी होता है। लेकिन इसमें अंतर क्या है।

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Maharaj Rishabh Sagar

Maharaj Rishabh Sagar: सहजानंद चातुर्मास में प्रवचन श्रृंखला के पांचवें दिन महावीर भवन में विराजित परम पूज्य श्री ऋषभ सागर ने लोगों को आपस में प्रेम बांटने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि आप अगर किसी के भीतर कोई गलतियां ढूंढ रहे हैं या उन्हें गलत समझते हैं तो सबसे पहले अपने भीतर झांक कर देखिए कि क्या आप में तो वह गलतियां नहीं है। पहले सुधार खुद से करिए। फिर आसपास का वातावरण और रिश्ते अपने आप सुधर जाएंगे। जीवन में उत्साह आ जाएगा

Maharaj Rishabh Sagar: जीवन अच्छा बनाना चाहते हैं तो ये करें

अगर हम हमारे जीवन को अच्छा बनाना चाहते हैं तो हम सबके साथ अच्छा भाव बनाएं। जैसे हम गांधी जी की तस्वीर देखते हैं तो हमारे मन में भी अच्छे भाव आते हैं। उनके जिस गुण से हम प्रभावित हैं, वही विचार हमारे जेहन में तत्काल आ जाता है। तस्वीर भावनाओं को काफी प्रभावित करते हैं। मंगल भावना से खुद को ओतप्रोत रखिए।

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जाने-अनजाने में ही सही भगवान का स्मरण करने का देते हैं मौका

हम जब एक दूसरे को राम-राम या जय जिनेंद्र बोलते हैं तो हम सामने वालों को भी जाने-अनजाने में ही सही भगवान का स्मरण करने का मौका दे देते हैं। मन जल्दी झुकने को राजी नहीं होता और जो सही में झुकता है, वह किसी के बारे में गलत नहीं सोच सकता। जो अकड़ है वही गलत सोच पैदा करती है। जब हम अच्छी भावना बांटते हैं तो हमारी अच्छी चीज भी बाहर आ जाती है। जब हम बुरे लोगों के बीच जीते हैं तो बुरी भावनाएं बाहर आ जाती है।

जीवन को कीड़े मकोड़े की तरह बर्बाद कर देते हैं: महाराज

Maharaj Rishabh Sagar: महाराज ने कहा कि जीवन तो कीड़े मकोड़ों का भी होता है और महापुरुषों का भी होता है। लेकिन इसमें अंतर क्या है। एक को अंतर पता था इसलिए वे अच्छे से जी पाए पर जो समझ नहीं पाए, वह अपने जीवन को कीड़े मकोड़े की तरह बर्बाद कर देते हैं। हम भी केवल चेतन नहीं जड़ से भी रिश्ता है।

रिश्तों का साथ हम कैसे देखते हैं, वहीं हमारे जीवन का आधार बनता है। हम देखें कि दूसरों के साथ हमारा व्यवहार कैसा है। यदि हमारा व्यवहार और सोच बुरी है तो सब बुरा है। अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छा रिश्ता जोड़ उनके बारे में अच्छा सोचें, बोलें और सुनें। जब इंसान बुरा देखना, सुनना व बोलना बंद कर देता है और अच्छी भावना की धारा बहाता है तो अच्छा होता है।