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Human Story : शिक्षाकर्मी पति की मृत्यु के बाद चार साल से बच्चों को लेकर दर-दर भटक रही पत्नी

शिक्षाकर्मी की बीमारी से मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को अब वह अपने बच्चों के साथ भटक रही है। उन्हें किसी से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। यहां तक उन्हें अनुकंपा नियुक्ति भी नहीं मिल पाई है। यह मामला कांकेर विकासखंड के नरहर शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षाकर्मी वर्ग-3 अजय कुमार गुरुपंच का। उनकी बीमारी के कारण 26 मई 2018 को मृत्यु हो गई थी।

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नहीं मिला सहारा: अनुकंपा नियुक्ति भी नहीं मिली, कई बार नमक और मिर्ची के साथ खाना खाने मजबूर

मृतक शिक्षाकर्मी की पत्नी देवप्रभा गुरुपंच अपने दो छोटे बच्चों आयुष और अंकुश को साथ

बालोद/अर्जुंदा . शिक्षाकर्मी की बीमारी से मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को अब वह अपने बच्चों के साथ भटक रही है। उन्हें किसी से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। यहां तक उन्हें अनुकंपा नियुक्ति भी नहीं मिल पाई है। यह मामला कांकेर विकासखंड के नरहर शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षाकर्मी वर्ग-3 अजय कुमार गुरुपंच का। उनकी बीमारी के कारण 26 मई 2018 को मृत्यु हो गई थी। मृतक शिक्षाकर्मी की पत्नी देवप्रभा गुरुपंच अपने दो छोटे बच्चों आयुष और अंकुश को साथ लेकर भटक रही हैं। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने अर्जुंदा में किराए के मकान में रह रही हैं।

अधिकारियों और नेताओं के भी काट चुकी चक्कर
शिक्षाकर्मी की पत्नी देव प्रभा गुरुपंच ने अपनी कहानी बताई। उन्होंने कहा कि 26 मई 2018 में उनके पति अजय कुमार गुरुपंच की मृत्यु के बाद से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अनुकंपा की उम्मीद के साथ विभागीय अधिकारियों के कई बार चक्कर काट चुकी हूं। अभी तक किसी भी प्रकार का आश्वासन नहीं मिला। कई बड़े नेताओं के द्वार भी जा चुकी हूं, लेकिन किसी ने सहयोग नहीं किया। स्थिति ऐसी है कि दोनों बच्चों को कई दिनों तक अच्छा भोजन भी नहीं करा पाती। कई बार तो उनको नमक और मिर्ची के साथ खाना परोसना पड़ता है।

संसदीय सचिव ने की सहायता
संसदीय सचिव एवं विधायक कुंवर सिंह निषाद को इस परिवार के बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने इस परिवार को अपने कार्यालय बुलाकर उनकी कहानी सुनी। तत्काल बच्चों के लिए स्कूल यूनिफॉर्म, एक साइकिल, बैग एवं सहायता राशि के रूप में 5000 रुपए की सहायता दी।

अब संसदीय सचिव से मिला आश्वासन
उन्होंने बताया कि भटकते-भटकते बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने अर्जुंदा आ पहुंची हूं। किसी के माध्यम से जब संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद को मेरे बारे में पता चला, तब उन्होंने कार्यालय बुलाखर सहायता की। साथ ही आश्वासन दिया कि आने वाले भविष्य में आपकी रोजी-रोटी के लिए यवस्था करता हूं। इसके लिए मैं उनका धन्यवाद ज्ञापित करती हूं।

जितना बन पड़ेगा, महिला का सहयोग करूंगा
संसदीय सचिव निषाद ने कहा कि निश्चित रूप से इस परिवार को देखकर बहुत दुख हुआ। इनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। शासन-प्रशासन के क्या नियम हैं। जानने का प्रयास करूंगा और जितना भी बन पड़ेगा सहयोग करूंगा। इस महिला की प्रशंसा करता हूं जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास कर रही हैं।