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CG News: धान बेचने के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य, किसानों की बढ़ी मुश्किलें, जानें क्या है नया नियम

CG News: एग्रीस्टेक पोर्टल में सबसे बड़ी समस्या पुराना डेटा है। इसमें 2022-2023 का डेटा अपलोड किया गया है। इस कारण नए भूमि स्वामियों का पंजीयन रिजेक्ट हो रहा है।

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CG News: धान बेचने के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य, किसानों की बढ़ी मुश्किलें, जानें क्या है नया नियम

धान बेचने के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य (Photo Patrika)

CG News: राज्य सरकार ने आगामी खरीफ सीजन में धान बेचने के लिए किसानों का एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य कर दिया है। इस पोर्टल की खामियां और तकनीकी समस्याएं अब किसानों के लिए सिरदर्द बन गई हैं। पोर्टल पर पंजीयन कराने में किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

एग्रीस्टेक पोर्टल में सबसे बड़ी समस्या पुराना डेटा है। इसमें 2022-2023 का डेटा अपलोड किया गया है। इस कारण नए भूमि स्वामियों का पंजीयन रिजेक्ट हो रहा है। किसान पहले से ही इस पोर्टल में पंजीकरण की प्रक्रिया में उलझे हुए हैं, वहीं कृषि विभाग के अधिकारी इस समस्या का हल देने में असफल हैं। किसानों को च्वाइस सेंटर जाकर शुल्क देकर पंजीकरण करवाना पड़ता है, लेकिन बाद में पंजीयन रिजेक्ट हो जा रहा है।

इससे उन्हें अतिरिक्त परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा कृषक परिवारों की समस्या यह है कि जिनकी कृषि भूमि नगरीय निकायों में है या जिनके पास एक से अधिक गांवों में कृषि भूमि है, उनका पंजीयन भी पोर्टल पर नहीं हो पा रहा है। खासकर 2023 के बाद की खरीदी-बिक्री, विरासत और फौती से जुड़ी भूमि पर पंजीयन में कठिनाई आ रही है। इस स्थिति में किसानों का धान बेचने का अधिकार प्रभावित हो रहा है क्योंकि एग्रीस्टेक के बिना वे धान नहीं बेच सकते हैं।

कृषि विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन की भी कमी है। कृषि विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं, जिससे किसानों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। ज्यादातर किसान जो कम शिक्षित हैं, चॉइस सेंटर जाकर पंजीकरण करवाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शुल्क देने के बावजूद पंजीयन सफल नहीं हो पा रहा है।

क्या है एग्रीस्टेक पोर्टल? समझिए…

एग्रीस्टेक पोर्टल एक डिजिटल पहल है, जिसे भारत सरकार ने शुरू किया है। इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करना है। इस पोर्टल के माध्यम से किसानों के पहचान, भूमि रेकॉर्ड, ऋण और फसल संबंधित जानकारी को एक जगह डिजिटल रूप में संकलित किया जाता है। इससे किसानों को बेहतर ऋण, कृषि सामग्री और मार्केट तक आसानी से पहुंच मिलेगी। हालांकि, पोर्टल में समस्याएं आने से इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।

किसानों को नए भूमिस्वामी, वारिसान मुद्दे और मुखिया की मृत्यु के बाद के बदलाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद कृषि विभाग की तरफ से कोई ठोस समाधान अब तक सामने नहीं आया है। अगर किसानों के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल को सुचारू और समस्यामुक्त बनाना है, तो सरकार और कृषि विभाग को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने होंगे। किसानों को समय पर जानकारी देने के साथ-साथ पंजीकरण प्रक्रिया को भी सरल और पारदर्शी बनाना होगा।

समस्याओं के बारे में जानकारी मिली

एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन में आ रही समस्याओं के बारे में जानकारी मिली है। यह भारत सरकार का पोर्टल है, लिहाजा कलेक्टर के माध्यम से सचिव भू अभिलेख को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया है।

दीपक कुमार नायक, उप संचालक, कृषि, बलौदाबाजार-भाटापारा