6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ढाई हजार ग्रामीण हुए एकजुट, कहा- पुल नहीं बना सकते तो एक नई नाव ही दिला दो साहब

Boat: ग्रामीणों की 20 साल में भी पुल निर्माण (Bridge) की मांग नहीं हो सकी पूरी, नदी पार (Cross River) करने एक नाव मिली थी, वह भी टूट गई

2 min read
Google source verification
Villagers demant boat

Broken boat

राजपुर. एसईसीएल जिस महान कोयला खदान (Mahan coal mines) से करोड़ों-अरबों रुपए की कमाई कर रहा है। वहां के ग्रामीणों को पिछले 20 साल से एक पुल तक नसीब नहीं हो रहा है, इसकी वजह प्रशासनिक अफसरों की अनदेखी है।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के विकासखंड राजपुर का ग्राम परसवार कला महान नदी (Mahan River) के दोनों किनारे पर बसा हुआ है। नदी पार (River cross) करने ग्रामीण पिछले 20 साल से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है।

Read More: महान नदी की बह चुकी Bridge के स्थान पर अब बनेगा रपटा


पांच साल पहले प्रशासन ने पुल की जगह ग्रामीणों को एक नाव थमा कर अपने दायित्व का निर्वहन कर लिया। अब यह नाव भी पूरी तरह से टूट चुकी है। वहीं पुल को लेकर ग्रामीणों की आस नाव की तरह ही टूट चुकी है, इसलिए इस बार ग्रामीण प्रशासन से पुल नहीं बल्कि एक टूटी हुई नाव की जगह नई नाव देने की मांग कर रहे हैं।

महान नदी के दोनों किनारे पर ग्राम परसवारकला के लगभग ढाई हजार ग्रामीण रहते हैं। ग्रामीणों के आय का स्रोत मुख्यत: खेती-किसानी होने की वजह से बड़ी संख्या में ग्रामीण उफनती नदी को जान जोखिम में पार करने को विवश हैं। वहीं पूर्व में डोंगा से नदी पार करते समय हादसा भी हो चुका है, जिसे देखते हुए प्रशासन ने नाव की व्यवस्था करते हुए पुल निर्माण की अपनी जवाबदारी से पल्ला झाड़ रखा है।

वहीं एसईसीएल प्रबंधन ने भी सीएसआर अनुसार कार्य करने की योजना कहते हुए अपने नैतिक जवाबदारी से मुंह मोड़ लिया है। ऐसे में इन ग्रामीणों की समस्या कौन सुलझाएगा? यह सवाल ही है।

Read More: Video: हथेली पर जान: ओवरफ्लो रपटा से महान नदी पार कर रहे सैकड़ों लोग, रोकने वाले भी दे रहे साथ


अन्य आवश्यक सुविधाओं की भी कमी
एसईसीएल द्वारा कोयला खदान खोले जाने के बाद से परसवार कला व अन्य आस-पास के ग्रामों के नागरिकों को अपने क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पेय जल के क्षेत्र में कार्य होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन एसईसीएल व प्रशासनिक ढुलमुल रवैये के कारण अब तक स्वास्थ्य, शिक्षा सड़क व पेयजल के क्षेत्र में कोई ठोस कार्य नहीं हो सका है।


अब टूट गई है ग्रामीणों की आस
प्रशासनिक तंत्र सिर्फ परसवारकला के मध्य से गुजरने वाली प्राकृतिक धरोहरमहान नदी से रेत निकालने की भी कार्य योजना बनाकर परसवार कला व अन्य आसपास के नागरिकों की जीवन शैली में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न कराकर दोहन के कार्य में लगा है। इसी कारण जिस तरह नाव टूटी है, उसी तरह प्रशासन से मूलभूत सुविधा की आस भी परसवार व अन्य आसपास के ग्रामीणों की टूट गई है।